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रूस को लेकर पश्चिमी देशों की इस चाल से भारत का पेट्रोलियम एक्सपोर्ट बढ़ा!

नई दिल्ली। यूक्रेन से युद्ध के चलते रूस पूरी दुनिया से कट चुका है. हाल ही में जर्मनी में हुई जी-7 बैठक में भी रूस के खिलाफ समिट में शामिल हुए देशों ने कई फैसलों पर विचार किया है. इसमें रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने की रणनीति पर गहन चर्चा की गई है. betfinal عربي रूस की अर्थव्यवस्था वहां के क्रूड ऑयल पर कहीं ज्यादा निर्भर करती है.

जी-7 देशों ने रूसी क्रूड ऑयल को लेकर रणनीति तैयार की है. बैठक में रूसी तेल की कीमत को और कम करने की दिशा में सकारात्मक बातचीत हुई है. روليت اون لاين للايفون अगर जी-7 देशों ने रूस के खिलाफ अपनी इस रणनीति पर अमल किया तो कच्चे तेल के क्षेत्र में रूस को आर्थिक नुकसान पहुंचेगा. العاب الكازينو مجانا

खास बात यह है कि अगर ऐसा हुआ तो भारत और चीन को बड़ा फायदा होगा. क्योंकि भारत और चीन रूस के क्रूड ऑयल के सबसे बड़े खरीदार हैं. जी-7 देश भी यही चाहते हैं कि भारत और चीन रूस से कम से कम कीमत पर कच्चा तेल खरीदें जिससे कि मॉस्को की अर्थव्यवस्था कमजोर हो.

इसमें यह तय किया गया है कि रूसी तेल की कीमत इतनी रखी जाएगी कि रूस अपने तेल का उत्पादन बंद न कर सके.यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से पश्चिमी देश ने रूसी तेल पर कई कठोर प्रतिबंध लगा चुके हैं. बता दें कि बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत अभी 110-120 डॉलर प्रति बैरल है. दूसरी तरफ प्रतिबंध झेल रूस के क्रूड ऑयल को इस कीमत से 30-40 डॉलर प्रति बैरल के डिस्काउंट वाली कीमत पर बेचा जा रहा है.

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