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तालिबान सरकार का अहम फैसला,अपने दम पर करेगा आईएसआईएस का सफाया ।

काबुल. आईएसआईएस का सामना करने के लिए ऐसे में तालिबान ने अपनी वायुसेना बनाने का फैसला लिया है.अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद देश में इस्लामिक स्टेट (ISIS) का आतंक बढ़ गया है.
काबुल के मुख्य सैन्य अस्पताल सरदार दाऊद खान पर मंगलवार को संदिग्ध आईएसआईएस-के ने हमला किया था. इसमें 23 लोगों की मरने की बात कहीं जा रही हैं. हमले के बाद तालिबान ने अस्पताल की छत पर अमेरिका ब्लैक हॉक सहित तालिबान के तीन हेलीकॉप्टरों तैनात किया था.

इस हमले के बाद तालिबान सरकार में गृह मंत्रालय के प्रवक्ता कारी सईद खोस्ती ने केन्यूज से बात करते हुए कहा है कि हम पिछली सरकार की वायुसेना और उनके पास जो पेशेवर थे, उनका उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि वे सभी वापस आएं. उन्होंने कहा कि हमारे पास सबके लिए अच्छी नीति है. वहीं, काबुल स्थित तालिबान के एक उच्च पदस्थ खुफिया अधिकारी ने जोर देकर कहा कि वायुसेना का होना अनिवार्य है.

इसमें कोई संदेह नहीं है कि शासन के पूरी तरह से स्थापित हो जाने के बाद जल्द ही एक पूर्ण वायुसेना का निर्माण किया जाएगा.’ इस बीच तालिबान के प्रवक्ता बिलाल करीमी ने कहा, ‘हम एक वायुसेना का निर्माण कर रहे हैं. पायलट जो उड़ानों की सुविधा प्रदान कर रहे हैं, उनके लिए सामान्य माफी की घोषणा की गई है. साथ ही हमने उन्हें वापस आने और फिर से सेना में शामिल होने और अपने देश की मदद करने के लिए कहा है.’

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्लाह ख्वारिजमी ने कहा कि जिन विमानों को कम मरम्मत की जरूरत थी, उन्हें ठीक कर दिया गया है. यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि तालिबान ने अफगान वायुसेना से जो उपकरण पकड़े हैं, उनमें से कितने उपकरण संचालित हैं.

पूर्व सैनिकों के ISIS में शामिल होने से बढ़ी मुश्किलें
अफगानिस्तान की पूर्ववर्ती सरकार के खुफिया सदस्य इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया खोरासान (ISIS-K) में शामिल हो गए. ये लोग तालिबान से लड़ने के लिए इस्लामिक स्टेट का हिस्सा बने हैं. अफगानिस्तान में पिछली सरकार के खुफिया निकाय के सदस्य अब तालिबान से बचने और उसका विरोध करने के लिए ISIS-K से जुड़ रहे हैं.

पूर्व सुरक्षाकर्मी ज्यादातर अमेरिका द्वारा ट्रेंड किए गए अफगान जासूस हैं, जो अब उत्तरी अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी समूह में शामिल हो रहे हैं. तालिबान के कब्जे के बाद से इसका विरोध करने वाला नॉर्दन रेजिस्टेंस ग्रुप एकमात्र समूह था. इसका नेतृत्व अहमद मसूद और पंजशीर में पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह कर रहे थे. हालांकि, कुछ हफ्तों के बाद ही पंजशीर भी तालिबान के कब्जे में आ गया.

तो इस वजह से भी IS में शामिल हो रहे जासूस
रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व अफगान जासूस सरकार के पतन के बाद आर्थिक बदहाली का सामना कर रहे हैं. इसके अलावा उन्हें तालिबान द्वारा बदला लेने का डर है और उन्हें चरमपंथी संगठन से लड़ने के लिए छोड़ दिया गया है. यही वजह है कि वे ISIS-K में शामिल हो रहे हैं, ताकि वे अपनी आय को बढ़ा सकें और तालिबान से लड़ सकें. अफगानिस्तान में टारगेट कर होने वाली हत्याओं और बम विस्फोटों में तेजी देखी जा रही है. नंगरहार प्रांत टारगेट हत्याओं और बम विस्फोटों का सामना कर रहा है. इसमें से कई हमले ISIS द्वारा अंजाम दिए गए हैं.

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