कोरोना वायरस का मिला नया वैरिएंट,100 से अधिक संक्रमित, केंद्र सरकारअलर्ट ।
नई दिल्ली : दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस का नया वैरिएंट मिला है. मुद्दे की बात ये है कि इसकी वजह से पूरे देश 100 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. इस वैरिएंट के सामने आने के बाद दक्षिण अफ्रीका की सरकार निजी लेबोरेट्रीज के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर इस वैरिएंट से संक्रमित लोगों की खोजबीन कर रही है.अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि यह कितना खतरनाक है. लेकिन दक्षिण अफ्रीका की द नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्यूनिकेबल डिजीस (NICD) के मुताबिक यह संक्रामक हो सकता है. इधर, भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव ने निर्देश जारी किया है कि भारत आने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की सघन कोरोना जांच की जाए. इस नए कोरोना वायरस वैरिएंट का नाम है B.1.1.529. दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने NGS-SA के सदस्य सरकारी प्रयोगशालाओं और निजी प्रयोगशालाओं को तत्काल जीनोम सिक्वेंसिंग करने की सलाह दी है. ताकि यह पता चल सके कि यह वैरिएंट कितना संक्रामक, कितना खतरनाक और दुष्प्रभावी है. भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर कहा है कि कोरोना के नए वैरिएंट के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. वीजा संबंधी और देश में आने संबंधी छूट की स्थिति में इससे देश में स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें बढ़ सकती हैं. इसलिए सभी राज्य बाहर देशों से आने वाले सभी यात्रियों की सख्त जांच करें।
NICD के एक्टिंग एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रो. एड्रियन पुरेन ने कहा कि हमें दक्षिण अफ्रीका में नए वैरिएंट मिलने की वजह से कोई हैरानी नहीं है. हालांकि अभी डेटा बहुत सीमित है, लेकिन हमारे स्वास्थ्यकर्मी और साइंटिस्ट लगातार काम कर रहे हैं. वो ये पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि ये वैरिएंट कहां से शुरु हुआ. कहां से फैला और यह कितना नुकसान पहुंचा सकता है. हम लगातार लोगों को सलाह और चेतावनियां दे रहे हैं, ताकि वो कोरोना संक्रमण से बचे रहें. भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि जो भी लोग विदेश से आ रहे हैं उनकी ट्रैकिंग की जाए. अगर कोई दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना या हॉन्गकॉन्ग से आता है, तो उसकी जांच जरूर की जानी चाहिए. इनके सैंपल को तत्काल INSOCAG जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजा जाना चाहिए.
पब्लिक हेल्थ सर्विलांस एंड रेसपॉन्स की प्रमुख डॉ. मिशेल ग्रूम ने कहा हैरानी की बात ये है कि पॉजिटिव आने वाले लोगों और संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. B.1.1.529 वैरिएंट के सबसे ज्यादा मामले गॉवटेंग (Gauteng), नॉर्थ वेस्ट (North West) और लिम्पोपो (Limpopo) में सामने आए हैं. मिशेल ने कहा कि हमने पूरे देश में NICD समेत सभी राज्यों के स्वास्थ्य प्रशासन को सचेत कर दिया है.
डॉ. मिशेल ग्रूम ने कहा कि हमने लोगों से कहा है कि ज्यादा से ज्यादा बचाव रखें. कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करें. अगर कोई वैक्सीन लगवा भी चुका है, तब भी वह मास्क लगाए. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करे. हाथों की सफाई का ध्यान रखे और भीड़-भाड़ वाले इलाके में न जाए. क्योंकि अभी हमें यह नहीं पता है कि नया वैरिएंट कितना खतरनाक है. इससे पहले दुनिया में डेल्टा वैरिएंट ने काफी तबाही मचाई थी.
2019 में चीन से निकले पहले कोरोनावायरस की तुलना में डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित व्यक्तियों में 1000 गुना ज्यादा वायरल लोड है. यह इतनी ही तेजी से दुनिया भर में लोगों को संक्रमित भी कर रहा है. चीन में हुई एक स्टडी के मुताबिक अब इसके अल्ट्राफास्ट संक्रमण की वजह पता कर ली गई है. डेल्टा वैरिएंट को पहली बार पिछली साल अक्टूबर महीने में भारत में दर्ज किया गया था. इसके बाद इस खतरनाक वैरिएंट ने दुनिया भर में संक्रमित कोविड-19 मरीजों में 83% को अपनी गिरफ्त में ले लिया.
अब वैज्ञानिकों को यह बात पता चल चुकी है कि डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) संक्रमण फैलाने में इतना सफल क्यों रहा. यह भी पता चला है कि डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित लोग अन्य कोरोना मरीजों की तुलना में ज्यादा वायरस फैलाते हैं. इसलिए यह चीन से निकले पहले SARS-CoV-2 वैरिएंट से अधिक फैल रहा है. वर्तमान आंकड़ों के अनुसार डेल्टा वैरिएंट कोविड-19 के पहले स्ट्रेन से दोगुना ज्यादा संक्रामक है
चीन के गुआंगझोउ में स्थित गुआंगडोंग प्रोविशिंयल सेंटर फॉर डिजीस कंट्रोल के संक्रामक रोग विशेषज्ञ जिंग लू ने कहा कि उन्होंने 62 लोगों की जांच की. ये लोग चीन में डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होने वाले पहले लोग थे. इन्हें संक्रमण हुआ तो सबसे पहले इन्हें क्वारनटाइन कर दिया गया था. ताकि इनकी वजह से बाकी लोग संक्रमित न हों.
जिंग लू और उनकी टीम ने इन सभी 62 लोगों के शरीर में डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) के वायरल लोड यानी शरीर में वायरस की मात्रा की जांच की. यह जांच सिर्फ एक बार नहीं हुई. बल्कि पूरे संक्रमण के दौरान हर दिन जांची गई. ताकि वायरल लोड में आ रही कमी और अधिकता की जांच की जा सके. इसके बाद वैज्ञानिकों ने साल 2020 में कोविड-19 के पहले
12 जुलाई को एक प्री-प्रिंट स्टडी में कहा गया था कि डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) से संक्रमित लोगों में वायरस की पहचान चार दिन बाद हुई थी. जबकि, पहला स्ट्रेन छह दिन बाद दिखाई देता था. इसका मतलब ये है कि डेल्टा वैरिएंट ज्यादा तेजी से शरीर में फैल रहा है. पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लोगों को तुलना में डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित लोगों के शरी में 1260 गुना ज्यादा वायरल लोड था.
यूनिवर्सिटी ऑफ हॉन्गकॉन्ग के संक्रामक रोग विशेषज्ञ बेंजामिन कॉलिंग ने कहा कि शरीर में तेजी से बढ़े वायरल लोड और छोटे इन्क्यूबेशन पीरियड की वजह से डेल्टा वैरिएंट काफी तेजी से एक इंसान को संक्रमित करने के बाद दूसरे को संक्रमित कर रहा है. इस वजह से ये काफी तेजी से लोगों के बीच फैल रहा है. अगर डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित कोई व्यक्ति आपके आसपास है, तो उससे काफी दूरी बनाकर रखने में ही चतुराई है, क्योंकि उसके रेस्पिरेटरी सिस्टम में वायरल लोड ज्यादा होता है. उससे आपको संक्रमण होने का खतरा रहता है.
बेंजामिन कॉलिंग ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) का इन्क्यूबेशन पीरियड इतना छोटा है कि चीन जैसे देश में इसका कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग आसान नहीं है. यानी इस वैरिएंट से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में कितने लोग आए, इसका सही अंदाजा लगा पाना मुश्किल है. क्योंकि अगर किसी व्यक्ति के संपर्क में पहले दिन कोई आया तो वह भी चार दिन में संक्रमित हो जाएगा. इतनी जल्दी उसे खोज पाना और इलाज के लिए क्वारनटाइन करना आसान नहीं होगा.
स्विट्जरलैंड में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ बर्न की जेनेटिक रिसर्चर एमा होडक्रॉफ्ट ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट को लेकर जिंग लू की स्टडी सही है. एमा और बेंजामिन कॉलिंग को शक है कि डेल्टा वैरिएंट और पहले कोरोनावायरस स्ट्रेन के वायरल लोड में अंतर हो सकता है. जिसकी जांच और करनी होगी. लेकिन जिन तरीकों से जिंग लू और उनकी टीम ने यह स्टडी की है, वो तरीका सही है. इसलिए उम्मीद है कि इनके आंकड़े भी सही होंगे.