MUMBAI: शिवसेना ने अपने मुख्यपत्र सामना के जरिए मोदी और नड्डा पर करते हुए है कि जेपी नड्डा को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से पार्टी में लगातार बदलाव हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के मन में जो है, वो जेपी नड्डा के जरिए करवाया जा रहा है. नड्डा के ही जरिए उत्तराखंड व कर्नाटक के मुख्यमंत्री बदले गए. गुजरात का मुख्यमंत्री भी एक झटके में बदल दिया गया. वहां तो पूरे मंत्रिमंडल का नवीनीकरण कर दिया गया.
सामना के मुताबिक, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल पहली बार ही विधायक बनने वाले नेता हैं, लेकिन अब मोदी-नड्डा ने ऐसा झटका दिया है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है. रुपाणी के मंत्रिमंडल में शामिल सभी मंत्रियों को मोदी व नड्डा ने घर बैठा दिया है. जिन 24 मंत्रियों ने शपथ ली है, वे सभी पहली ही बार मंत्री बने हैं.
नितिन पटेल सहित सभी पुराने-प्रसिद्ध लोगों को निकालकर मोदी व नड्डा ने गुजरात में नया दांव रचा है. राजेंद्र त्रिवेदी विधानसभा के अध्यक्ष थे. उनको भी हटाया और मंत्री बना दिया. रुपाणी के पीछे अमित शाह का समर्थन था, लेकिन उनके पूरे मंत्रिमंडल को घर का रास्ता दिखाकर मोदी-नड्डा की जोड़ी ने एक जोरदार राजनीतिक संदेश अपनी पार्टी को दिया है।
नितिन पटेल मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे. अब रुपाणी को किनारे कर दिया गया तब भी वही मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे. उस पर वे गुजरात में पाटीदार समाज के महत्वपूर्ण नेता हैं और पाटीदार समाज में उनका वजन है. पाटीदार समाज का बड़ा आंदोलन गुजरात में हुआ तब से यह समाज विचलित है.
आगामी विधानसभा चुनाव में इस असंतोष का झटका लगेगा और गुजरात में भाजपा की फजीहत होगी. इसका अनुमान लगने पर ही पहले रुपाणी को उनके पूरे मंत्रिमंडल के साथ घर भेज दिया, लेकिन नेतृत्व को पूरी तरह बदलते समय पाटीदार समाज के नेता नितिन पटेल को भी हटा दिया.
नए मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री पटेल के साथ 14 मंत्री पाटीदार समाज व ओबीसी समाज के हैं. यह साहस का काम होगा, फिर भी अपनी पार्टी में ऐसा साहसी कदम पीएम मोदी ही उठा सकते हैं. मोदी अब 70 साल के हो गए हैं. इसलिए उनके कदम अधिक दमदार ढंग से बढ़ रहे हैं और रास्ते के कांटे वे खुद ही साफ कर रहे हैं.
पीएम मोदी के राष्ट्रीय राजनीति का सूत्रधार बनते ही उन्होंने पार्टी के कई पुराने-प्रसिद्ध नेताओं को दूर करके मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया. अर्थात ये मार्गदर्शक मंडल जरूरत भर के लिए न होकर उपकार भर के लिए ही रखा. आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी भी इसी मार्गदर्शक मंडल में बैठे हैं. कल की केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पुनर्गठन में कई पुराने लोगों को मोदी ने घर का रास्ता दिखाकर नए लोगों को स्थान दिया.
रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावडेकर पर भी मंत्री पद गंवाने की नौबत आई. मोदी ने 2024 के सार्वजनिक चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है और उस काम की कमान अपने पास रखने का निर्णय लिया है. देश में कुल मिलाकर असमंजस की स्थिति है. लोगों में, उसी तरह विरोधियों में मोदी की कार्यशैली को लेकर जो रोष दिख रहा है, उसके लिए खुद मोदी कितने जिम्मेदार हैं और उनके इर्द-गिर्द के लोग कितने जिम्मेदार हैं.
ये समझने का वक्त मोदी-नड्डा पर आया और इसी से गुजरात से उत्तराखंड तक स्वच्छता मुहिम उन्हें हाथ में लेनी पड़ी. बीते कुछ महीने में एक असम को छोड़ दें तो बंगाल, तमिलनाडु, केरल में भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा. बंगाल में तो अमित शाह ने पूरी ताकत लगा दी थी. केरल में ई. श्रीधरन जैसे मोहरे को काम पर लगाया था. अमित शाह कोई भी चमत्कार कर सकते हैं, इस तरह से प्रचार मुहिम चलाई गई. लेकिन अमित शाह के दौर में महाराष्ट्र में 25 साल पुरानी भाजपा-शिवसेना युति खंडित हो गई व अब तो भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ रहा है.
पीएम मोदी का चेहरा नहीं होगा तो भाजपा के वर्तमान कई नाचने वाले मुखौटे नगर पालिका के चुनाव में भी पराजित हो जाएंगे. मोदी को अपनी इस ताकत की जानकारी होने के कारण उन्होंने 2024 की तैयारी के लिए साहसी कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं.
तीन राज्यों के मुख्यमंत्री मोदी-नड्डा जोड़ी ने बदल दिए. गुजरात में तो पूरी जमीन खोदकर सड़े हुए खर-पतवार को जड़ से उखाड़ दिया. मध्य प्रदेश, हिमाचल, हरियाणा के मुख्यमंत्री पर मोदी-नड्डा की पैनी नजर है. मोदी ने गुजरात में सब कुछ बदल दिया. इस खौफ से पार्टी को उबरने में वक्त लगेगा और यही प्रयोग उनकी सरकार रहित प्रदेशों में भी हो सकता है ‘मोदी है तो मुमकिन है’