नई दिल्ली,:जब से हिमाचल प्रदेश में में हुए उपचुनावों में सत्तारूढ़ दल बीजेपी को मिली करारी हार मिली उसके बाद से बीजेपी पार्टी के भीतर काफी असंतोष देखने को मिल रहा है, और आपस में ही उठापटक जारी है,
सीएम जयराम ठाकुर ने चुनावों में मिली हार की वजह मंहगाई बताई, तो वहीं पार्टी के अन्य नेताओं ने इस हार का ठीकरा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और शीर्ष आलाकमान पर फोड़ा। पिछले रविवार को हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिमाचल प्रदेश में उपचुनावों में पार्टी की भारी हार पर कोई चर्चा नहीं हुई है।
बीजेपी हिमाचल प्रदेश में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रही है, लेकिन राज्य इकाई, केंद्रीय आलाकमान मुख्य रूप से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, जो को छूट देने के मूड में नहीं है। भाजपा 2 नवंबर को घोषित परिणामों में फतेहपुर, अर्की और जुब्बल-कोटखाई विधानसभा उपचुनावों के साथ-साथ मंडी लोकसभा सीट से हार गई। इनमें जुब्बल- कोटखाई और मंडी निर्वाचन क्षेत्रों पर बीजेपी का कब्जा था।
हार के बाद से हिमाचल भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, लेकिन स्थानीय नेताओं के बीच सबसे अधिक गुस्सा जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के लिए है। हिमाचल भाजपा के नेताओं के मुताबिक, करारी हार का प्राथमिक कारण “टिकटों के वितरण में आलाकमान द्वारा लिया गया एकतरफा निर्णय” था। राज्य भाजपा हार के कारणों की समीक्षा कर रही है। इसके साथ ही ये दावा कर रही है कि तीनों विधानसभा सीटों पर सही उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिए गए क्योंकि पार्टी ने वंशवाद की राजनीति से बचने का फैसला किया था। इसके अलावा पार्टी ने अंदरूनी फूट को भी दोष दिया है।
मंडी में मिली हार को लेकर पार्टी का मानना है कि कांग्रेस की प्रतिभा सिंह सहानुभूति लहर के कारण जीती है। इस साल जुलाई में वीरभद्र सिंह की मृत्यु हो गई थी। इन तमाम कारकों के साथ ही देश में महंगाई की ऊंची दर को भी हार की मुख्य वजहों में गिना जा रहा है। सबसे अधिक चौंकाने वाली हार जुब्बल-कोटखाई की है। जहां भाजपा की उम्मीदवार नीलम सरायक की जमानत तक जब्त हो गई। इसके बीचे की वजह बागी नेता चेतन बरागटा को माना जा रहा है।
चेतन कांग्रेस के रोहित ठाकुर के बाद दूसरे स्थान पर रहे। बरागटा भाजपा विधायक नरिंदर बरागटा के पुत्र हैं, जिनकी जून में मृत्यु के कारण उपचुनाव कराना पड़ा। जिसके बाद पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, जिसके चलते वे बागी हो गई। जिसका सीधा असर बीजेपी की उम्मीदवार पर पड़ा। चेतन ने अपनी सभाओं में बीजेपी के मिले धोखे का जमकर जिक्र किया था। दो अन्य सीटें, अर्की और फतेहपुर, कांग्रेस के पास थी, जो राज्य में सत्ता में न होने के बावजूद उन्हें बनाए रखने में सफल रही है।
हिमाचल भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने हार की वजहों पर बात करते हुए कहा कि , आलाकमान ने दृढ़ निर्णय लिया था कि वंशवाद की राजनीति के आरोपों के कारण परिवार के सदस्यों को टिकट आवंटित नहीं किए जाएंगे। यही कारण है कि चेतन बरागटा को पार्टी का टिकट नहीं दिया गया। अंतत: उन्होंने बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और हम इस वजह से जुब्बल-कोटखाई हार गए। मंडी में हम सिर्फ एक फीसदी वोट के अंतर से हारे। पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतें, मुद्रास्फीति कारक, मतदान पैटर्न को प्रभावित कर रही हैं।
नाम ना छापने की शर्त पर एक कैबिनेट मंत्री ने बताया कि, इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार चयन में गलत मानदंडों का पालन करने और गलत उम्मीदवारों को टिकट बांटने के कारण इन उपचुनावों में पार्टी हार गई। चेतन बरागटा का नाम जुब्बल-कोटखाई सीट के लिए राज्य इकाई द्वारा भेजा गया था, लेकिन आलाकमान ने उन्हें टिकट नहीं दिया। यह इस तथ्य के बावजूद था कि उन्हें लगभग तीन महीने पहले टिकट का आश्वासन दिया गया था और उन्हें तुरंत चुनाव प्रचार करने के लिए कहा गया था। जुब्बल-कोटखाई में पन्ना प्रमुख से लेकर बूथ प्रभारी तक सभी भाजपा कार्यकर्ताओं ने बरागटा के लिए प्रचार किया।