LUCKNOW: सुना था कानून के हाथ लंबे होते हैं मगर मुजरिम की गरदन तक पहुंचने में 14 साल का सफर लग गया, लखनऊ के एक मुजरिम तक पहुंचने में कानून को टाइम तो लगा पर मुजरिम हाथ आ ही गया
आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा की टीम ने बुधवार को अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम के बर्खास्त महाप्रबंधक मसऊद अख्तर को गिरफ्तार कर लिया है।
मसऊद अख्तर पर प्रदेश एवं केंद्र सरकार से प्राप्त शासकीय धनराशि 72.4 करोड़ में से 58,73,44,568 का दुरुपयोग कर गबन का आरोप है। वर्ष 2006 में मसऊद अख्तर के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था। 2007 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। बर्खास्तगी के करीब 14 साल बाद मसऊद अख्तर की गिरफ्तारी हुई।
बुधवार दोपहर बाद ईओडब्ल्यू की टीम और पुलिस ने मसऊद अख्तर को ठाकुरगंज क्षेत्र के शीशमहल स्थित उनके घर से पकड़ा। इसके बाद हजरतगंज कोतवाली में दाखिल कर जेल भेज दिया गया। एसपी ईओडब्ल्यू डीपीएन पांडेय ने बताया कि मसऊद अख्तर वर्ष 1999 से 2006 तक महाप्रबंधक के पद पर तैनात रहे थे। उन्होंने अल्पसंख्यक वर्ग से संबंधित विभिन्न योजनाओं में ऋण विवरण हेतु प्रदेश एवं केंद्र सरकार से प्राप्त शासकीय धनराशि 72.4 करोड़ में से 58,73,44,568 रुपये का दुरुपयोग कर गबन किया।
मामले में हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद विवेचना ईओडब्ल्यू को ट्रांसफर हुई थी। जांच में सभी तथ्य सही पाए गए। इसके बाद अभियोजन स्वीकृति लेकर गिरफ्तारी की गई। एसपी डीपीएन पांडेय ने बताया कि विवेचना के दौरान मसऊद अख्तर से जब पूछताछ की गई तो वह खर्च की गई धनराशि का ब्योरा भी नहीं दे पाए थे। मामले की विवेचना इंस्पेक्टर गोविंद सिंह द्वारा की जा रही थी।
पांच बार ठाकुरगंज थाने को भेजी गई हुकुम तहरीरी : विभागीय सूत्रों के मुताबिक ईओडब्ल्यू द्वारा ठाकुरगंज कोतवाली को मसऊद अख्तर की गिरफ्तारी के लिए वर्ष 2020 से अब तक करीब पांच बार हुकुम तहरीरी गिरफ्तारी के लिए भेजी गई थी। पांच बार हुकुम तहरीर मिलने के बाद भी ठाकुरगंज पुलिस ने मसऊद अख्तर को गिरफ्तार नहीं किया।जबकि वह शीश महल स्थित घर में ही रहते थे। ठाकुरगंज पुलिस द्वारा गिरफ्तारी न करने पर ईओडब्ल्यू की टीम ने अलाधिकारियों को इसकी जानकारी दी। इसके बाद ईओडब्ल्यू की ओर से गिरफ्तारी के लिए टीम गठित की गई।