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उत्तर प्रदेशराज्य

IGSD-USA और कृषि विज्ञान केन्द्र का संयुक्त प्रयास, धान उत्पादन में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अग्रसर

कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिया में धान से मीथेन उत्सर्जन घटाने हेतु अंतरराष्ट्रीय प्रायोगिक प्रदर्शन।

अर्ली न्यूज़ नेटवर्क।

सीतापुर। कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिया (सीतापुर) एवं इंस्टिट्यूट फॉर गवर्नेंस एंड सस्टेनेबल डेवलेपमेंट (IGSD), संयुक्त राज्य अमेरिका के संयुक्त सहयोग से चल रहे कोलैब्रेटिव रिसर्च प्रोजेक्ट के अंतर्गत मंगलवार को “धान के खेतों में मीथेन उत्सर्जन में कमी” विषय पर किसान पाठशाला एवं प्रायोगिक प्रदर्शन का आयोजन किया गया। पाठशाला के दौरान किसानों को नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों के माध्यम से धान उत्पादन में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के उपायों से अवगत कराया गया।

इस अवसर पर IGSD की ओर से अली रजा ऋषि बख्शी एवं अथर्व देशमुख ने तकनीकी प्रस्तुति देते हुए परियोजना के अंतरराष्ट्रीय पहलुओं तथा सतत कृषि प्रणाली में इसकी उपयोगिता पर जानकारी साझा की।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्र के प्रसार वैज्ञानिक शैलेन्द्र सिंह ने मीथेन गैस के पर्यावरणीय दुष्परिणामों, कार्बन क्रेडिट के महत्व और उत्सर्जन नियंत्रण में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए सटीक प्रबंधन तकनीकों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है।

परियोजना के समन्वयक एवं सस्य वैज्ञानिक डॉ. शिशिर कांत सिंह ने बताया कि टीम द्वारा धान की रोपाई (ट्रांसप्लांटिंग) और सीधी बुवाई (डायरेक्ट सीडेड राइस) दोनों ही विधियों में मिथेनोटॉप्स बैक्टीरिया का इनाकुलेशन किया गया। परिणामस्वरूप सीधी बुवाई पद्धति में मीथेन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई, जो प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

IGSD के शोध सहयोगी अली रजा ने मिथेनोटॉप्स बैक्टीरिया की सक्रियता एवं खेत से मीथेन उत्सर्जन दर को मापने की वैज्ञानिक प्रक्रिया (मेथेन फ्लक्स मेजरमेंट) का प्रायोगिक प्रदर्शन किया।

इस अवसर पर केंद्र के मृदा वैज्ञानिक सचिन प्रताप तोमर और उद्यान वैज्ञानिक डॉ. शुभम सिंह राठौर ने भी किसानों को मिट्टी एवं फसल प्रबंधन से जुड़ी तकनीकों के बारे में जानकारी प्रदान की।

किसान पाठशाला में कुल 45 किसानों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और धान खेती में मीथेन नियंत्रण के प्रभावी उपायों को प्रत्यक्ष रूप से देखा एवं अपनाने का संकल्प लिया।

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