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नए बरस में हम लिक्खेंगे फिर से नई कहानी -रतिभान त्रिपाठी

रतिभान त्रिपाठी                                         अर्ली न्यूज़ नेटवर्क। लखनऊ।                          

कविता

कुछ मीठी कुछ खट्टी सी है हम सबकी जिंदगानी।
नए बरस में हम लिक्खेंगे फिर से नई कहानी।।

पहले अहं ब्रह्मास्मि लिखेंगे
फिर आगे तत्वमसि लिखेंगे
शंकर का अद्वैत लिखेंगे
और लिखेंगे सामवेद की
गिरा सुधा रस सानी
नए बरस में हम लिक्खेंगे फिर से नई कहानी।

ध्रुव जैसा प्रज्ञान लिखेंगे
नचिकेता विज्ञान लिखेंगे
याज्ञवल्क्य का ज्ञान लिखेंगे
और लिखेंगे भरद्वाज सम
ऋषि मुनियों की बानी। 
नए बरस में हम लिक्खेंगे फिर से नई कहानी।।

दुर्गा की कुछ शक्ति लिखेंगे
राधा की अनुरक्ति लिखेंगे
मीरा की प्रभु भक्ति लिखेंगे
और लिखेंगे इन आंखों में
लज्जा का वह पानी
नए बरस में हम लिक्खेंगे फिर से नई कहानी।

सूरदास की उक्ति लिखेंगे
कबिरा की अन्योक्ति लिखेंगे
रहिमन की युगसूक्ति लिखेंगे
और लिखेंगे कवि तुलसी की
भाषा जनकल्याणी
नए बरस में हम लिक्खेंगे फिर से नई कहानी।

जन-जन के उपकार लिखेंगे
भारत के संस्कार लिखेंगे
नित नूतन संसार लिखेंगे
और लिखेंगे सत्य सनातन
अजर अमर अभिमानी।
नए बरस में हम लिक्खेंगे फिर से नई कहानी।

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