1 हफ्ते में तालिबान के 450 आतंकी हुए ढेर
काबुल। अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबानी कब्जे को दो हफ्ते से ज्यादा हो चुके हैं और अब तो तालिबान (Taliban) अफगानिस्तान में नई सरकार गठन करने की तैयारी भी कर रहा है लेकिन अफगानिस्तान का एक हिस्सा है जहां पर तालिबान राज करने में नाकाम रहा है. तालिबान विरोधी नॉर्दर्न अलायंस के कब्जे वाले पंजशीर (Panjshir) घाटी को अपने कब्जे में लेने के लिए तालिबानी आतंकी पंजशीर घाटी में घुसने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनकी कोशिश नाकाम हो रही है.
तालिबान ने शुक्रवार को एक प्रोपेगेंडा रचा. उसने पंजशीर घाटी जीतने का दावा किया लेकिन कुछ ही देर बाद पंजशीर में तालिबान के खिलाफ युद्ध लड़ रहे अमरुल्लाह सालेह ने एक वीडियो जारी कर तालिबान के दावे को झूठा करार दिया. अब सवाल है कि क्या पंजशीर में हर बार हारने वाला तालिबान दुष्प्रचार का सहारा ले रहा है?
पंजशीर की जंग में किसकी जीत होगी ये तो नहीं पता लेकिन तालिबान नॉर्दर्न अलायंस का मनोबल कमजोर करना चाहता है. एक तरफ तालिबान का दावा है कि पंजशीर के 4 जिलों पर तालिबान का कब्जा है तो नॉर्दर्न अलायंस की ओर से पूर्व उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह का दावा है कि पंजशीर पर तालिबानी कब्जे का दावा सरासर झूठा है.
तालिबान का कहना है कि पूरे पंजशीर प्रांत पर कब्जे की तैयारी है. वहीं नॉर्दर्न अलायंस का दावा है कि 200 तालिबानी आतंकियों ने सरेंडर किया है. तालिबान अफवाह फैला रहा है कि अमरुल्लाह सालेह पंजशीर छोड़कर भाग गए हैं जबकि अमरुल्लाह सालेह ने खुद वीडियो जारी करके कहा कि मेरे भागने की खबर झूठी है. तालिबान ने कई वीडियो जारी किए और बताया कि पंजशीर में रजिस्टेंस फोर्स के टैंक और तोप पर कब्जा किया. हथियार पर कब्जा कर लिया लेकिन नॉर्दर्न अलायंस का दावा है कि एक हफ्ते में करीब 450 तालिबानी मारे गए.
इसमें किसका दावा सच्चा है किसका झूठा ये फिलहाल नहीं कहा जा सकता लेकिन पंजशीर पर कब्जे के लिए तालिबान अपनी कोशिशें कर रहा है और NRF पूरी कोशिश कर रहा है कि लड़े, तालिबान को पीछे करे और पंजशीर पर कब्जे से रोक ले.
तालिबान ने जितनी आसानी से पूरे अफगानिस्तान को अपनी गिरफ्त में ले लिया. उतनी ही जद्दोजहद उसे पंजशीर घाटी में करनी पड़ रही है. मसूद के लड़ाकों ने तालिबानियों को पंजशीर की पहाड़ियों से खदेड़ दिया है. नॉर्दर्न अलायंस ने साफ कर दिया है कि तालिबान पंजशीर पर कब्जे का ख्वाब छोड़ दे. वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर तालिबान सरकार का गठन टल गया.