श्रीधर अग्निहोत्री की पुस्तक ‘अनसुने सितारे’ और मनीष शुक्ल की पुस्तक ‘मैं स्वयंसेवक’ का लोकार्पण

आनन्द गोपाल चतुर्वेदी
अर्ली न्यूज़ नेटवर्क।
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले के अंतर्गत शुक्रवार को आयोजित एक भव्य एवं साहित्यिक गरिमा से परिपूर्ण समारोह में वरिष्ठ पत्रकार एवं उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार श्रीधर अग्निहोत्री की दूसरी पुस्तक ‘अनसुने सितारे’ तथा वरिष्ठ पत्रकार मनीष शुक्ल की कृति ‘मैं स्वयंसेवक’ का लोकार्पण प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने किया। इस अवसर पर साहित्य, पत्रकारिता, समाजसेवा और विधि क्षेत्र से जुड़े अनेक प्रतिष्ठित जन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
अनसुने सितारे पर विचार
उप मुख्यमंत्री श्री पाठक ने अपने वक्तव्य में सबसे पहले लेखक श्रीधर अग्निहोत्री और उनकी कृति ‘अनसुने सितारे’ की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक भारतीय सिनेमा की अमूल्य धरोहर है, जिसमें उन कलाकारों की स्मृतियाँ दर्ज हैं, जिन्हें समय और समाज ने भुला दिया किंतु जिन्होंने अपनी प्रतिभा और कला से भारतीय परदे पर गहरी छाप छोड़ी।
उन्होंने कहा कि यह संयोग है कि दोनों पुस्तकों का संबंध कानपुर से है, क्योंकि दोनों ही लेखक उस शहर से जुड़े रहे हैं। ‘अनसुने सितारे’ को आने वाली पीढ़ियों के लिए एक दस्तावेज़ बताते हुए श्री पाठक ने कहा कि सामान्यतः साहित्यकार इस विधा को चुनने से बचते हैं, किंतु श्रीधर अग्निहोत्री ने एक ‘छुपे रूस्तम’ की भाँति कठिन विषय का चयन कर उसे जीवंत रूप दिया। उन्होंने अपनी व्यस्त दिनचर्या और पत्रकारिता की जिम्मेदारियों के बीच भी सिनेमा और सांस्कृतिक विरासत के प्रति अपने गहरे लगाव को जीवित रखा। पुस्तक में अनेक ऐसे पात्रों का उल्लेख है, जिन्हें जनस्मृति लगभग भुला चुकी थी।
श्री पाठक ने कहा कि यह पुस्तक केवल सांस्कृतिक विरासत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि समाज को एक नई दिशा देने वाला साहित्य है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ‘अनसुने सितारे’ की सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगी।
मैं स्वयंसेवक की प्रासंगिकता
इसके बाद उप मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक मनीष शुक्ल की पुस्तक ‘मैं स्वयंसेवक’ पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक और आवश्यक है। इसमें कई दशकों से समाज के विभिन्न वर्गों में संघ और स्वयंसेवकों की सक्रिय भूमिका का विस्तृत चित्रण किया गया है। इस पुस्तक में राष्ट्र निर्माण की अवधारणा, साझी संस्कृति की व्याख्या और आधुनिक भारत की आकांक्षाओं का गंभीर विवेचन मिलता है।
अटल जी का उदाहरण
अपने वक्तव्य में श्री पाठक ने स्वतंत्रता आंदोलन में स्वयंसेवकों के योगदान का उल्लेख करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि किशोरावस्था में ही वाजपेयी जी ने स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला में स्वयं को झोंक दिया था। उनकी ओजस्वी कविताएँ और देशभक्ति से ओतप्रोत भाषण उस दौर के युवाओं में नई चेतना का संचार करते थे। इसी कारण अंग्रेज़ी हुकूमत ने उन्हें गिरफ्तार कर किशोर जेल भेज दिया था।
उन्होंने कहा कि यह प्रसंग इस बात का सजीव प्रमाण है कि भारतीय जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी की वैचारिक जड़ें राष्ट्रनिर्माण की तपस्या में गहराई से समाहित हैं। ‘मैं स्वयंसेवक’ इसी परिप्रेक्ष्य में एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है, जो न केवल संघ की विचारधारा और कार्यशैली को सामने लाती है बल्कि उन असंख्य स्वयंसेवकों की गाथाएँ भी उजागर करती है जिन्होंने व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं का त्याग कर राष्ट्र को सर्वोपरि माना।
अन्य वक्तव्य और शुभकामनाएँ
श्री पाठक ने अपने उद्बोधन में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इन दोनों नेताओं ने राष्ट्र और हिन्दू समाज की प्रतिष्ठा को विश्वपटल पर ऊँचा उठाने के लिए अतुलनीय कार्य किए हैं।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी, ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र मिश्र तथा फिल्म लेखक-निर्देशक चंद्र भूषण सिंह ने भी दोनों लेखकों को उनकी कृतियों के प्रकाशन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ दीं।
स्वागत, आभार और संचालन
समारोह का शुभारंभ लेखक मनीष शुक्ल द्वारा अतिथियों के स्वागत के साथ हुआ। तत्पश्चात् लेखक श्रीधर अग्निहोत्री ने सभी का आभार व्यक्त किया। मंच संचालन शालीनता और कुशलता के साथ शिखा मल्होत्रा ने किया।
गरिमामयी उपस्थिति
समारोह में बड़ी संख्या में पत्रकारिता और साहित्य जगत से जुड़े गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इनमें उप्र राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के महासचिव भारत सिंह, उपाध्यक्ष अविनाश चंद्र मिश्र, संयुक्त सचिव विजय त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर पंकज, राजीव तिवारी ‘बाबा’, शाश्वत तिवारी, मनीष श्रीवास्तव, रज़ा रिज़वी, मुकुल मिश्र, नवेद शिकोह, योगेश श्रीवास्तव, विनीत गुप्ता, देश दीपक त्रिपाठी, अभिनव सिन्हा, नीरज श्रीवास्तव, अभिषेक रंजन विमल पाठक पद्माकर पाण्डेय और दिनेश शर्मा प्रमुख रूप से शामिल थे।