लखनऊ: उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर इन दोनों आरोप, प्रत्यारोप का प्रचलन आम हो रहा है जिस तरह से बीजेपी गवर्नमेंट में कोई भी सुरक्षित नहीं है सरकार के बड़े-बड़े दावे झूठे साबित होते हैं पिछले दिनों हुई जिस तरह नरेंद्र गिरी महंत गेम हत्या का मामला सामने आया है उसने उत्तर प्रदेश सरकार को विपक्ष के सामने कटहरे में लाकर खड़ा कर दिया है ऐसा पहली बार नहीं है विपक्ष ने हमलावर होते हुए कहां है इस सरकार में 21 साधु संतों की हत्या हो चुकी है।अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद विपक्षी दल UP पुलिस की भूमिका पर हमलावर हैं. पुलिस पर कई गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं.इसी को लेकर कांग्रेस ने राजधानी लखनऊ स्थित कांग्रेस मुख्यालय पर प्रेस कांफ्रेस की है, जिसमें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने इस घटना को लेकर 10 गंभीर सवाल उठाये हैं. इसके साथ इस देश के विभिन्न साधु-संतों की तर्ज पर इस पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट या फिर हाईकोर्ट की डीविजनल बेंच की निगरानी में CBI जांच कराये जाने की मांग की है.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि ‘महंत नरेन्द्र गिरि की मौत के बाद कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. जिनमें पहला सवाल ये है कि आखिर सरकार और उसकी पुलिस बिना पोस्टमार्टम के ही महंत नरेन्द्र गिरि की मौत को आत्महत्या क्यों बता रही है? दूसरा सवाल ये कि अगर महंत नरेन्द्र गिरि ने आत्महत्या ही की थी, तो उनके शव को पुलिस के आने से पहले क्यों और किसने उतारा? तीसरा सवाल ये है कि जब महंत नरेन्द्र गिरि के शुभचितंक ये बता रहे हैं कि वे कुछ लिख नहीं सकते थे. तो आखिर इतना लंबा सुसाइड लैटर उन्होंने कैसे लिखा?
चौथा सवाल ये कि अगर सुसाइड नोट में तीन लोगों के नाम का जिक्र है तो आखिर अबतक सिर्फ 1 ही व्यक्ति को ही क्यों गिरफ्तार किया गया? पांचवा सवाल ये है कि आखिर इस मामले में जिस सत्ताधारी नेता, अधिकारी और अन्य लोगों के नाम आ रहे हैं, उनसे अबतक पूछताछ क्यों नही जा रही है? सरकार सिर्फ इस मामले को आत्महत्या बताने में जुटी है. इसलिये कांग्रेस इस मामले की सुप्रीम या हाई कोर्ट के जज की निगरानी में CBI जांच की मांग करती है.’
इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि ‘योगी सरकार में साधु-संतों की हत्या का ये कोई पहला या दूसरा मामला नहीं है. अब तक UP के अंदर योगी सरकार में 21 साधु-संतों की हत्या हो चुकी है. तो योगी राज में सबसे ज्यादा अगर किसी पर मुसीबत आई है. इस दौरान भी कई गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं. जिनमें 12 पेज का सुसाइड नोट भी शामिल है. क्रिमिनल हिस्ट्री में अबतक इतना बडा सुसाइड नोट मैने पहले कभी नहीं देखा. अक्सर सुसाइड नोट 4-6 लाइन के साथ अधिकतम 1 पन्ने का होता है. क्योंकि कहा जाता है कि अगर बहुत सोचने-समझने का समय मिला तो सुसाइड के इरादे बदल जाते हैं. आखिर BJP सरकार में उन पर ऐसा कौन सा दबाव था जो वो झेल नहीं पा रहे थे?
उन्होंने कहा कि महंत नरेन्द्र गिरी की मौत उनके शयनकक्ष में नहीं उनके गेस्ट रूम में हुई है. जिसमें एक नहीं बल्कि 2 दरवाजे हैं. तो फिर बाहर का दरवाजा तोड़कर क्यों शव उतारा गया? क्या कारण है कि महंत नरेन्द्र गिरी के पोस्टमार्टम में इतना विलंब किया जा रहा है? ये वो मुख्य सवाल है जो कही न कही पुलिस की थ्योरी पर सवाल खडा कर रहे हैं. इसलिये हम हाथरस कांड की तर्ज पर SC/HC के जज की निगरानी में CBI जांच की मांग कर रहे हैं.’