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डॉग कोरोना वायरस मिला इंसानों में , 2018 में हुई थी पहचान

कैम्ब्रिज। वैज्ञानिकों ने मलेशिया (Malaysia) में कोरोना वायरस के एक नए प्रकार की खोज की है, और कुत्तों से इंसानों में आने की संभावना है. लेकिन क्या ये इंसानों के लिए खतरा है या फिर नहीं, वैज्ञानिकों ने इस पर आखिरी फैसला नहीं दिया है. दरअसल वैज्ञानिकों ने निमोनिया से पीड़ित कुछ लोगों में कुत्तों में पाए जाने वाले एक नयी तरह के कोरोना वायरस (Coronavirus) का पता लगाया है. यह सुनने में भले खतरनाक लग सकता है, लेकिन इसका विश्लेषण करने के बाद लगता है कि इसकी वजह से आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है.

मलेशिया के सरवाक के एक अस्पताल में 8 लोगों में कुत्तों का कोरोना वायरस पाए जाने के बारे में वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के समूह ने ​​​​संक्रामक रोगों से संबंधित विभाग को इससे जुड़ी सूचना भेजी है.

सीनियर साइंटिस्ट के एलर्ट के बाद ये सवाल उठ रहा है कि क्या कुत्ते इंसानों में कोरोना वायरस फैला सकते हैं? सबसे पहले बता दें कि आखिर ये कुत्तों का कोरोना वायरस क्या है. दरअसल कहा जाता है अधूरी जानकारी ज्यादा खतरनाक होती है. इसलिए ये जानना जरूरी है कि इन लोगों में मिला वायरस, सार्स-कोवी-2, जो वायरस कोविड-19 (Covid-19) की वजह बनता है, उससे अलग है. हालांकि क्या कुत्ते इंसानों में कोरोना फैला सकते हैं इस पर लगातार शोध चल रहा है.

कोरोना वायरस परिवार को वायरस के चार समूहों में विभाजित किया जा सकता है: अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा कोरोना वायरस. सार्स-कोवी-2 बीटा कोरोना वायरस समूह में आता है, जबकि कुत्तों के कोरोना वायरस पूरी तरह से अलग अल्फ़ा कोरोना वायरस समूह से हैं.

वैज्ञानिक लगभग 50 वर्षों से कुत्तों के कोरोना वायरस के बारे में जानते हैं. इस लंबे अंतराल के दौरान ये वायरस अपने एक अनजान अस्तित्व के साथ मौजूद रहा. हांलाकि सिर्फ पशु चिकित्सक और कभी-कभी कुत्तों को पालने वाले लोग ही इस कोरोना वायरस के बारे में जानने की दिलचस्पी रखते थे.

सार्स और कोविड-19 के बाद किसी जानवर से इंसानों में आनेवाला सबसे नए वायरस का नाम CCoV-HuPn-2018 रखा गया है. हालांकि, क्लीनिकल इंफेक्शीसियस डिजीज में प्रकाशित रिसर्च से साबित नहीं हो सका कि कुत्ते से इंसानों के बीच आया कोरोना वायरस क्या बच्चे के न्यूमोनिया की वजह बना या दूसरा रोगाणु कारण था.

इन वायरस के जरिए इंसानों को संक्रमित करने के बारे में पिछली कोई जानकारी यानी डाटा मौजूद नहीं है. लेकिन जब अचानक दुनिया में चारों तरफ कोरोना वायरस की चर्चा हो रही है तो उन इलाकों में भी इसके बारे जानकारी हासिल की जा रही है जहां इसे पहले कभी नहीं देखा गया था.

हाल ही में लोगों में पाया गया कुत्तों का कोरोना वायरस संक्रमण दरअसल इस दिशा में की जा रही गंभीर खोज का नतीजा था. जिन लोगों को इस खोज का हिस्सा बनाया गया था वह काफी समय पहले ठीक हो चुके थे. वैज्ञानिक विशेष रूप से सिर्फ कुत्तों के कोरोना वायरस की तलाश नहीं कर रहे थे, शोधकर्ता ऐसा परीक्षण विकसित करने की कोशिश कर रहे थे जो एक ही समय में सभी प्रकार के कोरोना वायरस का पता लगा सके.

लैब में तैयार किए गए वायरस के नमूनों पर परीक्षण के काम करने की पुष्टि के बाद, उन्होंने मलेशिया के एक अस्पताल में भर्ती रहे निमोनिया के 192 रोगियों के नमूनों पर इसका परीक्षण किया. इनमें से नौ नमूनों का परिणाम कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव आया.

इस संबंध में और जांच करने पर पता चला कि उपरोक्त 9 सैंपल में से 5 सामान्य मानव कोरोना वायरस थे जिससे सर्दी जुकाम हो सकता है. लेकिन, हैरानी की बात ये कि इनमें 4 सैंपल कुत्तों में पाए जाने वाले कोरोना वायरस के थे. इसी अस्पताल के मरीजों की और जांच करने पर चार और पॉजिटिव मरीज सामने आए.

अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या मरीजों में निमोनिया के लिए कुत्तों में पाया जाने वाला यह कोरोना वायरस जिम्मेदार था? वैज्ञानिकों ने कहा कि फिलहाल, हम इस सवाल का जवाब नहीं दे सकते. हांलाकि जांच का हिस्सा बनाए गए आठ में से सात मरीज उसी दौराान एक साथ दूसरे वायरस से भी संक्रमित थे जो या तो एडेनोवायरस, इन्फ्लूएंजा या पैरेनफ्लुएंजा वायरस था.

इस तथ्य को प्रमुखता से उठाने वाले यह स्पष्ट नहीं करते कि इनसानों में संक्रमण के यह मामले दरअसल 2017 और 2018 के हैं. ऐसे में इस स्रोत से कुत्तों के कोरोना वायरस के प्रकोप की संभावना और भी कम हो जाती है क्योंकि बीच के तीन से चार वर्षों में इसके आगे फैलने का कोई सबूत नहीं है.

यह ऐसा समय है, जब चारों तरफ कोरोना वायरस की बात हो रही है और इससे जुड़े तमाम तरह के वायरस की खोज की जा रही है और ऐसे में अप्रत्याशित स्थानों से कुछ और पॉजिटिव नमूने मिलने से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन इनमें से अधिकांश केवल अध्ययन और जांच तक सीमित होंगे और इसके लिए फिलहाल डरने की जरूरत नहीं है.

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