नई दिल्ली। भारत ने 41 वर्षों के बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीता। हार्दिक ने कहा, हम एक चुस्त टीम हैं, और मुझे लगता है कि ओलंपिक में हमारी सबसे बड़ी ताकत थी कि हमने एक दूसरे के साथ शानदार संयोजन बनाया था और हम एक-दूसरे के कौशल से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सक्षम थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ निराशाजनक परिणाम के बाद (1 -7 हार), हम एक साथ बैठे और एक-दूसरे से खुलकर बात की कि क्या गलत हुआ और आने वाले मैचों में हमें बेहतर प्रदर्शन करने के लिए क्या करने की जरूरत है। इससे हमें वापसी करने और देश के लिए पदक जीतने में बहुत मदद मिली।
22 वर्षीय हार्दिक भारतीय मिडफील्ड में प्रमुख खिलाड़ियों में से एक हैं और उन्होंने अपने पहले ओलंपिक खेलों में दो महत्वपूर्ण गोल किए।
हार्दिक ने कहा, 2018 विश्व कप के बाद, यह (टोक्यो ओलंपिक) सीनियर टीम के साथ मेरा दूसरा बड़ा टूनार्मेंट था, और मैं विश्व कप में अपने प्रदर्शन से वास्तव में संतुष्ट नहीं था। इसलिए, मैं खुद को साबित करना चाहता था कि मैं बड़े स्तर पर बेहतर कर सकता हूं। इसलिए, मेरे लिए यह एक बड़ी चुनौती थी, और मुझे खुशी है कि मैं अच्छा कर सका, और टीम की सफलता में योगदान करने में सक्षम रहा।
हार्दिक ने इंग्लैंड के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच में एक यादगार फील्ड गोल किया, जिससे भारतीय टीम को चार दशक से अधिक समय के बाद ओलंपिक में पदक के दौर में प्रवेश करने में मदद मिली।
22 वर्षीय मिडफील्डर ने आगे कहा कि टीम पेरिस 2024 ओलंपिक में स्वर्ण की तलाश शुरू करने के लिए उत्सुक है।
उन्होंने कहा, हम पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण के लिए अपनी अभियान शुरू करने के लिए उत्सुक हैं। हमें कदम दर कदम अगे बढ़ना होगा, और हमारा पहला कदम 2022 एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतकर ओलंपिक खेलों 2024 के लिए सीधे क्वालीफाई करना होगा। फिर 2023 में, हमारे पास एक और मार्की इवेंट है- हॉकी विश्व कप, जो ओडिशा में खेला जाएगा, इसलिए आगे चुनौतीपूर्ण और रोमांचक समय है, और हम इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं।