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ओली फिर बने पीएम ,सरकार गठन के लिए बहुमत जुटाने में नाकाम विपक्ष

 अर्ली न्यूज़ नेटवर्क/एजेंसी

काठमांडू: नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का विपक्षी गठबंधन तथा नेपाली कांग्रेस अगली सरकार बनाने के लिए बहुमत हासिल करने में नाकाम रहा है। ऐसे में केपी शर्मा ओली के एक बार फिर देश का प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया इसके पश्चात्  राष्ट्रपति ने उनको फिर से पीएम नियुक्त  कर दिया है।

श्री ओली सोमवार को प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत साबित करने में नाकाम रहे थे, जिसके बाद राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने विपक्षी दलों को सरकार गठन के लिए गुरुवार रात नौ बजे तक का समय दिया था। चूंकि विपक्षी दल संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के तहत सरकार गठन का दावा पेश करने में नाकाम रहे हैं, ऐसे में राष्ट्रपति भंडारी ने अनुच्छेद 76 (3) के तहत ओली (69) को दोबारा प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया है।

नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को सीपीएन माओवाद के अध्यक्ष पुष्पकमल दाहल ‘प्रचंड’ का समर्थन मिल गया था, लेकिन वह जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) का समर्थन हासिल करने में नाकाम रहे। जेएसपी के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव ने देउबा को समर्थन का आश्वासन दिया था लेकिन पार्टी के एक और अध्यक्ष महंत ठाकुर ने इस विचार को खारिज कर दिया।

निचले सदन में नेपाली कांग्रेस के पास 61 और माओवाद (मध्य) के पास 49 सीटें हैं। इस प्रकार उनके पास 110 सीटें हैं, लेकिन बहुमत के आंकड़े से कम हैं। जबकि  सरकार गठन के लिए 136 मतों की आवश्यकता  है। सदन में जेएसपी की 32 सीटें हैं। यदि जेएसपी समर्थन दे देती तो देउबा को प्रधानमंत्री पद के लिए दावा पेश करने का अवसर मिल जाता।

यूएमएल के पास 275 सदस्यीय सदन में 121 सीटें है। माधव नेपाल के धड़े वाले 28 सांसदों ने कार्यावाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और माधव के बीच गुरुवार को समझौता होने के बाद अपनी सदस्यता से इस्तीफा नहीं देने का निर्णय लिया। ओली ने माधव समेत यूएमएल के चार नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का फैसला वापस लेते हुए उन्हें उनकी मांगें माने जाने का आश्वासन दिया। यदि यूएमएल के सांसद इस्तीफा दे देते तो प्रतिनिधि सभा में सदस्यों की संख्या घटकर 243 रह जाती, जो फिलहाल 271 है। ऐसे में सरकार गठन के लिये केवल 122 मतों की दरकार होती।

 

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