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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को किया संबोधित

अर्ली न्यूज़ नेटवर्क।

नई  दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए सरकार के कई सुधारात्मक और कल्याणकारी कदमों तथा कानूनों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि हाल के दौर में औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने के ठोस प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं. वर्ष 1947 में हमने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष लंबे समय तक विद्यमान रहे. हाल के दौर में, उस मानसिकता को बदलने के ठोस प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं. जानिए देश को संबोधित करते हुए उन्होंने और क्या कहा.

उन्होंने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने संबंधी सरकार की पहल को “साहसपूर्ण दूरदर्शिता” का एक प्रयास बताया. उन्होंने कहा कि “एक राष्ट्र एक चुनाव” से सुशासन को नए आयाम दिए जा सकते हैं तथा इससे शासन में निरंतरता को बढ़ावा मिल सकता है और वित्तीय बोझ को कम किया जा सकता है.

नीति-निर्धारण से जुड़ी निष्क्रियता समाप्त की जा सकती है, संसाधनों के अन्यत्र खर्च हो जाने की संभावना कम हो सकती है तथा वित्तीय बोझ को कम किया जा सकता है. इनके अलावा, जन-हित में अनेक अन्य लाभ भी हो सकते हैं. लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ को बीते शीतकालीन सत्र के दौरान निचले सदन में पेश किया गया था और फिर इन पर विचार के लिए 39 सदस्यीय संसद की संयुक्त समिति का गठन किया गया. संविधान के महत्व का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने पिछले 75 वर्षों में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ” स्वाधीनता के समय देश के बड़े हिस्से में घोर गरीबी और भुखमरी की स्थिति बनी हुई थी.

लेकिन, हमारा आत्म-विश्वास कभी डिगा नहीं, हमने ऐसी परिस्थितियों के निर्माण का संकल्प लिया जिनमें सभी को विकास करने का अवसर मिल सके. किसानों और मजदूरों के योगदान को रेखांकित करते राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अब वैश्विक आर्थिक रुझानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा इस परिवर्तन का आधार संविधान द्वारा स्थापित रूपरेखा है. राष्ट्रपति ने हाल के वर्षों में लगातार उच्च आर्थिक विकास दर को रेखांकित किया जिससे रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, किसानों और मजदूरों की आय में वृद्धि हुई है और बड़ी संख्या में लोग गरीबी से बाहर निकले हैं.

उन्होंने समावेशी विकास के महत्व और कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया, जिससे नागरिकों के लिए आवास और स्वच्छ पेयजल जैसी बुनियादी आवश्यकताएं सुनिश्चित हो सकें. राष्ट्रपति ने हाशिए पर पड़े समुदायों, विशेषकर अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को सहायता प्रदान करने के प्रयासों का उल्लेख किया. मुर्मू ने कहा, ‘‘अनुसूचित जातियों के युवाओं के लिए प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्तियां, राष्ट्रीय फ़ेलोशिप, विदेशी छात्रवृत्तियां, छात्रावास और कोचिंग सुविधाएं दी जा रही हैं.

प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना द्वारा रोजगार और आमदनी के अवसर उत्पन्न करके अनुसूचित जातियों के लोगों की गरीबी को तेजी से कम किया जा रहा है. उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि अनुसूचित-जनजाति-समुदायों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं, जिनमें धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान और प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान – पीएम-जनमन – शामिल हैं. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘विमुक्त, घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदायों के लिए ‘विकास एवं कल्याण बोर्ड’ का गठन किया गया है.

उन्होंने महाकुंभ का उल्लेख करते हुए कहा, “हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ है. इस समय आयोजित हो रहे प्रयागराज महाकुंभ को उस समृद्ध विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है. राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने तथा उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए संस्कृति के क्षेत्र में अनेक उत्साहजनक प्रयास किए जा रहे हैं. मुर्मू ने कहा कि संविधान भारतवासियों की सामूहिक अस्मिता का मूल आधार है तथा यह ‘‘विलक्षण ग्रंथ’’ सभी नागरिकों को एक परिवार की तरह एकता के सूत्र में पिरोता है.

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में जो आज व्यापक परिवर्तन हुआ वो संविधान में निर्धारित रूपरेखा के बिना संभव नहीं हो सकता था. मुर्मू ने कहा, ‘‘भारत के गणतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंब हमारी संविधान सभा की संरचना में भी दिखाई देता है. उस सभा में देश के सभी हिस्सों और सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था. सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि संविधान सभा में सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, सुचेता कृपलानी, हंसाबेन मेहता और मालती चौधरी जैसी 15 असाधारण महिलाएं भी शामिल थीं.

उनका कहना था कि दुनिया के कई हिस्सों में जब महिलाओं की समानता को एक सुदूर आदर्श समझा जाता था तब भारत में महिलाएं, राष्ट्र की नियति को आकार देने में सक्रिय योगदान दे रही थीं. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारा संविधान एक जीवंत दस्तावेज इसलिए बन पाया है क्योंकि नागरिकों की निष्ठा, सदियों से, हमारी नैतिकता-परक जीवन-दृष्टि का प्रमुख तत्व रही है. हमारा संविधान, भारतवासियों के रूप में, हमारी सामूहिक अस्मिता का मूल आधार है जो हमें एक परिवार की तरह एकता के सूत्र में पिरोता है. उनके अनुसार, पिछले 75 वर्षों से संविधान ने देश की प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया है.‘‘जब आज के बच्चे वर्ष 2050 की 26 जनवरी के दिन राष्ट्र-ध्वज को सलामी दे रहे होंगे.

तब वे अपनी अगली पीढ़ी को यह बता रहे होंगे कि हमारे देश की गौरव यात्रा, हमारे अतुलनीय संविधान से प्राप्त मार्गदर्शन के बिना संभव न हुई होती. उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट’ (स्पेडेक्स) के तहत उपग्रहों की सफल ‘डॉकिंग’ का उल्लेख करते हुए कहा,  इसरो ने हाल के वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. इस महीने, इसरो ने अपने सफल ‘स्पेस डॉकिंग’ प्रयोग से देश को एक बार फिर गौरवान्वित किया है. भारत अब विश्व का चौथा देश बन गया है जिसके पास यह क्षमता उपलब्ध है.

उन्होंने कहा कि ‘जिनोम इंडिया प्रोजेक्ट’ प्रकृति के रहस्यों की खोज का एक रोचक अभियान होने के साथ ही भारतीय विज्ञान के इतिहास में एक निर्णायक अध्याय भी है. मुर्मू् ने कहा, ‘‘इसके प्रमुख कार्यक्रम के तहत, इसी महीने 10 हजार भारतीयों की जिनोम सिक्वेंसिंग को अनुसंधान के लिए उपलब्ध कराया गया है. ज्ञान के नए आयामों को खोलने वाली यह परियोजना जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान में नए मार्ग प्रशस्त करेगी तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को भी मजबूत बनाएगी. उन्होंने खेल के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों का उल्लेख किया और कहा कि ‘एक राष्ट्र के रूप में हमारा बढ़ता आत्मविश्वास खेलों के क्षेत्र में भी दिखाई देता है. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारे खिलाड़ियों ने सफलता के प्रभावशाली अध्याय रचे हैं.

पिछले वर्ष, हमारे खिलाड़ियों ने ओलंपिक खेलों में अच्छा प्रदर्शन किया है. पैरालिंपिक खेलों में, हमने अपना अब तक का सबसे बड़ा दल भेजा, जिसने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. फिडे शतरंज ओलंपियाड में हमारे खिलाड़ियों ने विश्व समुदाय को अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया तथा पुरुष और महिला खिलाड़ियों ने स्वर्ण पदक जीते. वर्ष 2024 में डी. गुकेश ने अब तक का सबसे कम उम्र का विश्व चैंपियन बनकर इतिहास रच दिया. उनका कहना था कि देश भर में जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण सुविधाओं में बहुत सुधार हुआ है और इसके बल पर हमारे खिलाड़ियों ने विजयी होकर हमें गौरवान्वित किया है तथा उन्होंने अगली पीढ़ी को और भी ऊंचे लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया है.

 

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