Latest News
सी.एम.एस. में 22 नवम्बर से 54 देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश व कानूनविद् पधारेंगे लखनऊरामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय ने किया एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजनभूस्खलन की वजह से 80 लोगों की मौत, केरल में दो दिनों का शोक, राहुल-प्रियंका जाएंगे वायनाडबंथरा ब्राह्मण हत्या काण्ड: दिवंगत रितिक पाण्डेय के परिवार से मिलेगा ब्राह्मण प्रतिनिधि मंडलकारगिल युद्ध में भारत की विजय को आज 25 साल पूरे Early News Hindi Daily E-Paper 7 July 2024UK आम चुनाव में ऋषि सुनक की करारी हार, लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर नए प्रधानमंत्री7 जुलाई को गुजरात दौरे पर राहुल, गिरफ्तार कांग्रेस कार्यकर्ताओं के घर वालो से मिलेंगेEarly News Hindi Daily E-Paper 6 July 2024Early News Hindi Daily E-Paper 5 July 2024
अंतर्राष्ट्रीय

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कही ये बात रूस की प्रमुख डिमांड पर

कीव। रूस और यूक्रेन जंग (Russia-Ukraine War) को एक महीने से ज्यादा बीत गया है. रूस की सेना यूक्रेन पर कब्जे का प्रयास कर रही है, लेकिन उसे हर कदम पर करारा जवाब मिल रहा है. इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने कहा है कि वो रूस की तटस्थ (न्यूट्रल) स्थिति अपनाने की मांग पर सावधानीपूर्वक विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम मॉस्को से इस पर चर्चा कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए किसी तीसरे पक्ष को गारंटी देनी होगी और जनमत संग्रह करना होगा.

जंग खत्म करने के लिए दोनों पक्षों में पहले भी बातचीत हो चुकी है, लेकिन उसका कोई खास फायदा नहीं हुआ. ऐसे में 28-30 मार्च को तुर्की में होने वाली अगले दौर की बातचीत महत्वपूर्ण है. वोलोदिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने अपने 90 मिनट के वीडियो काल में रूसी पत्रकारों से बातचीत में कहा कि न्यूट्रल स्थिति की डिमांड पर हम विचार कर रहे हैं और इस पर अपनों से चर्चा भी की जा रही है. हमें देखना होगा कि इसका भविष्य में यूक्रेन पर क्या प्रभाव पड़ता है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) शुरू से यूक्रेन को तटस्थ स्थिति अपनाने के लिए कहते आए हैं. इसका मतलब है कि यूक्रेन NATO का हिस्सा बनने के मुद्दे पर तटस्थ रहे. युद्ध के ऐलान के वक्त पुतिन ने कहा था कि चूंकि यूक्रेन नाटो में शामिल होने की जिद छोड़ने को तैयार नहीं है, इसलिए हमें युद्ध का फैसला लेना पड़ा है. बता दें कि नाटो की 1949 की संधि किसी भी यूरोपीय देश को इसका सदस्य बनने का अधिकार देती है. इसलिए यूक्रेन ने इसमें शामिल होने की इच्छा प्रकट की थी. हालांकि, रूस को लगता है कि अगर यूक्रेन NATO से जुड़ा तो उसके लिए भविष्य में परेशानियां खड़ी हो जाएंगी.

जंग शुरू होने से पहले तक अमेरिका और नाटो यूक्रेन को मदद का भरोसा दिला रहे थे, लेकिन रूसी सेना के यूक्रेन कूच करते ही सबका रुख बदल गया. यूक्रेन को उम्मीद थी कि यूएस और नाटो देशों की सेनाएं उसकी मदद को आएंगी, मगर ऐसा हुआ नहीं. इसी से नाराज होकर वोलोदिमिर जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों को खरी खोटी सुनाई थी और कहा था कि उनकी NATO का सदस्य बनने कोई दिलचस्पी नहीं. शायद यही वजह है कि जेलेंस्की इस मुद्दे पर अब बातचीत को तैयार नजर आ रहे हैं.

तुर्की में रूस के साथ बातचीत पर जेलेंस्की ने कहा, ‘हम वास्तव में, बिना किसी विलंब के, शांति चाहते हैं. तुर्की में आमने-सामने होने जा रही बातचीत एक अवसर है और जरूरत भी. यह बुरा नहीं है. आइए, देखें कि परिणाम क्या मिलते हैं’. उन्होंने आगे कहा कि मैं दूसरे देशों की संसद से लगातार अपील करूंगा और उन्हें घेरेबंदी वाले मारियुपोल जैसे शहरों के भयावह हालात की याद दिलाऊंगा.

Show More
[sf id=2 layout=8]

Related Articles

Back to top button