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श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की वापसी, छोड़ा था देश विद्रोह के बीच

नई दिल्ली। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे शुक्रवार को थाइलैंड से स्वदेश लौट आए हैं। खराब आर्थिक संकट और उनकी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विद्रोह के बाद राजपक्षे करीब दो महीने पहले श्रीलंका छोड़कर भाग खड़े हुए थे। राजपक्षे के खिलाफ विद्रोह इतना भयानक रूप ले लिया था कि उनके इस्तीफे की मांग पर अड़े प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया था। जिसके बाद 13 जुलाई को राजपक्षे देश छोड़कर भा गए थे।

गोटबाया राजपक्षे पहले श्रीलंका वायुसेना के विमान के जरिए कोलंबो से मालदीव भागे थे। मालदीव से वह सिंगापुर रवाना हुए थे, जहां से उन्होंने 14 जुलाई को अपना इस्तीफा भेजा था। बाद में राजपक्षे ने अस्थायी आश्रय की तलाश में थाईलैंड के लिए उड़ान भरी थी। थाईलैंड के विदेश मंत्री डॉन प्रमुदविनई ने कहा है कि राजपक्षे 90 दिन तक देश में रह सकते हैं, क्योंकि वह अब भी एक राजनयिक पासपोर्ट धारक हैं।

राजपक्षे के अपदस्थ होने के बाद श्रीलंका की संसद ने तत्कालीन कार्यवाहक राष्ट्रपति और छह बार प्रधानमंत्री रह चुके रानिल विक्रमसिंघे को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुना था। विक्रमसिंघे को 225 सदस्यीय संसद में सबसे बड़े दल श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) का समर्थन हासिल था। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने राजपक्षे के नेतृत्व वाली एसएलपीपी के अनुरोध पर उनकी स्वदेश वापसी के इंतजाम किए हैं। एसएलपीपी के महासचिव सागर करियावासम ने 19 अगस्त को कहा था कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के साथ हुई बैठक में इस संबंध में अनुरोध किया गया था।

पूर्व राष्ट्रपति सिंगापुर एयरलाइंस की उड़ान से श्रीलंका लौटे। सूत्रों ने कहा कि बैंकॉक और कोलंबो के बीच कोई सीधी उड़ान नहीं होने के कारण पहले वो सिंगापुर आए और फिर वहां से अपने देश के लिए उड़ान भरी। पूर्व राष्ट्रपति के वतन वापसी के बाद अब यह देखना होगा कि क्या अब उनका विरोध होता है या नहीं।

श्रीलंका की संसद ने शुक्रवार को वर्ष 2022 के लिए अंतरिम बजट पारित कर दिया। एक दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने सबसे बुरे आर्थिक संकट से उबरने में मदद पहुंचाने के लिए श्रीलंका को 2.9 अरब डॉलर का ऋण देने का ऐलान किया था।  इस बजट के विरोध में महज पांच मत पड़े।

जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के तीन और ऑल सिलोन तमिल कांग्रेस के दो सांसदों ने अंतरिम बजट के खिलाफ मतदान किया। देश की 225 सदस्यीय संसद में 115 सदस्यों ने अंतरिम बजट के पक्ष में वोट डाला जबकि मुख्य विपक्षी दली एसजेबी मतदान से अनुपस्थित रहा। बजट राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने पेश किया था जो वित्त मंत्री भी हैं। अंतरिम बजट में आयकर, मूल्य वर्धित कर, दूरसंचार लेवी से जुड़े कई सुधार प्रस्तावित किए गए हैं।

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