नई दिल्ली।टी20 टीम के नये नये कप्तान बनने के बाद रोहित शर्मा के नेतृत्व में भारतीय टीम की यह पहली जीत है। ईडन गार्डन्स में खेले गये मैच में रोहित शर्मा अपने प्लान को लागू करने में पूरी तरह से कामयाब रहे और यह जाहिर कर दिया कि उन्होंने ओस से प्रभावित मैचों में जीत का फॉर्मूला ढूंढ लिया है,भारतीय टीम ने ईडन गार्डन्स के मैदान पर खेले गये आखिरी मैच में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और 184 रनों का स्कोर खड़ा किया। जवाब में न्यूजीलैंड की टीम 111 रनों पर सिमट गई और भारत ने 73 रनों की जीत हासिल कर ली। उल्लेखनीय है कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेले गये इस आखिरी मैच में रोहित शर्मा ने 2022 टी20 विश्वकप को ध्यान में रखते हुए प्रयोग किया और टॉस जीतने के बाद जानबूझकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया।
2021 में खेले गये टी20 विश्वकप की बात करें तो ज्यादातर मैचों में ओस ने बड़ी भूमिका निभाई जिसके कारण ज्यादातर टीमें जो टॉस जीत रही थी, मैच का नतीजा भी उन्हीं के पक्ष में जाता नजर आया। ऐसे में रोहित शर्मा चाहते हैं कि अगर अगले विश्वकप में उनकी टीम को ऐसी स्थिति में खेलना पड़े जहां पर उसे ओस से प्रभावित मैच में खेलना पड़े तो उसकी टीम जीत हासिल करने में कामयाब हो सके। ऐसे में अगर किसी बड़े मैच में उनकी टीम टॉस हार भी जाती है तो वो उसके प्रभाव को निष्क्रिय कर सकते हैं। आइये एक नजर उनके फॉर्मूले पर डालते हैं-
ओस से प्रभावित मैच में अगर कोई टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए जीत हासिल करना चाहती है तो हमेशा कहा जाता है कि उसे गेंदबाजों के लिये 10-15 अतिरिक्त रन बनाने चाहिये, ताकि जब दूसरी पारी में बल्लेबाजी आसान हो तब उसके पास रनों का बचाव करने के लिये वो अतिरिक्त रनों का लाभ हो। रोहित शर्मा ने इस बात को लागू करने के लिये बैटिंग पावरप्ले का सही इस्तेमाल करने पर जोर दिया है। ईडन गार्डन्स के मैदान पर जब भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करने उतरी तो उसने रोहित शर्मा और ईशान किशन की बल्लेबाजी के दम पर 68 रन जोड़ लिये। इसके चलते जब भारतीय टीम ने बीच के ओवर्स में जल्दी-जल्दी विकेट खो दिये तब भी उसके टोटल पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा। इतना ही नहीं अगर पावरप्ले में ज्यादा रन बनाने के बाद टीम लड़खड़ाती है तो मध्यक्रम के खिलाड़ी बीच के ओवर्स में समय लेकर डेथ ओवर्स में तेजी से रन बना सकते हैं। ऐसे में अगर किसी टीम को ओस से प्रभावित मैच में जीत पक्की करनी है तो बैटिंग पावरप्ले में विस्फोटक बल्लेबाजी करनी होगी।
टी20 प्रारूप में भारत के पूर्व भारतीय कप्तान विराट कोहली को टी20 विश्वकप में दो बार ऐसी परिस्थिति से गुजरना पड़ा, जहां पर उसे रनों का बचाव करने की जरूरत पड़ी। इस दौरान विराट कोहली ने पावरप्ले में तेज गेंदबाजों पर ज्यादा भरोसा जताया और जब वो रन रोकने में नाकाम रहे तो आखिरी के एक ओवर में स्पिनर का इस्तेमाल किया। वहीं पर रोहित शर्मा ने ईडन गार्डन्स के मैदान पर खेले गये मैच में जब गेंदबाजी की शुरूआत की तो कीवी बल्लेबाजों ने पहले दो ओवर्स में ही 21 रन बटोर लिये और ऐसा लगा कि वो पावरप्ले का फायदा उठाने की ओर देख रहे हैं। रोहित शर्मा ने तभी अक्षर पटेल को गेंदबाजी थमाई जिन्होंने एक ही ओवर में 2 विकेट चटका दिये।
इतना ही नहीं रोहित ने 2 विकेट चटकाने के बाद बॉलर को रोका नहीं बल्कि 5वें ओवर में भी गेंदबाजी कराई और उन्होंने एक और विकेट अपने नाम किया। वहीं पर विराट कोहली की कप्तानी में कई बार देखा गया है कि जब कोई गेंदबाज विकेट चटका देता है तो वो उसे रोक कर किसी और गेंदबाज का ओवर निकालने की कोशिश करते हैं। रोहित ने अपनी रणनीति साफ किया है कि अगर आपको ओस से प्रभावित मैच में रनों का बचाव करना है तो विकेटों के लिये जाना होगा और अगर कोई गेंदबाज विकेट देता है तो उसे जारी रखने में कोई हर्ज नहीं है
रोहित शर्मा ने ईडन गार्डन्स में खेले गये आखिरी मैच में वेंकटेश अय्यर के रूप में छठे गेंदबाजी का भी इस्तेमाल किया जिन्होंने 3 ओवर में 12 रन देकर 1 विकेट अपने नाम किया। हालांकि यहां पर अय्यर को गेंदबाजी देने से ज्यादा उनका इस्तेमाल कहां पर किया यह मायने रखता है। रोहित ने पहले वेंकटेश को पावरप्ले खत्म होने के बाद 7वां ओवर थमा दिया, जहां पर अक्सर बल्लेबाज फील्डिंग पाबंदियां खुलने के बाद संभलकर खेलने की कोशिश करता है और बड़े शॉट लगाने की ओर नहीं देखता है। इसके बाद हिटमैन ने ड्रिंक ब्रेक के बाद 12वें ओवर में अय्यर को गेंद थमाई, यह वो वक्त होता है जब बल्लेबाज तेजी से रन बनाने की ओर देखता है और उसे छठा गेंदबाजी का विकल्प इसके लिये सबसे आसान माध्यम नजर आता है। इन दोनों ही परिस्थितियों में बल्लेबाज से गलती होने के चांसेस बढ़ जाते हैं।
वहीं कीवी टीम के कप्तान टिम साउथी ने सीरीज के पहले दो मैचों में अपने छठे गेंदबाज का इस्तेमाल 15वें ओवर के बाद किया जो कि पूरी तरह से बेअसर साबित हुआ और भारत ने आसानी से मैच अपने नाम कर लिया।
गौरतलब है कि भारतीय टीम ने सीरीज के आखिरी मैच में कीवी टीम को 73 रनों से हराया जो कि न्यूजीलैंड टी20 क्रिकेट इतिहास में मिली चौथी सबसे बड़ी हार है। इस फेहरिस्त में पाकिस्तान का नाम सबसे ऊपर है जिसने 2010 में क्राइस्टचर्च में खेले गये मैच में कीवी टीम को 103 रनों से मात दी थी, वहीं पर साउथ अफ्रीकी टीम ने 2017 में 78 रनों से हराया था। इंग्लैंड की टीम ने 2019 में कीवी टीम को 76 रनों से मात दी थी। इस जीत के साथ ही भारत ने 3 या उससे ज्यादा मैचों की टी20 सीरीज में सबसे ज्यादा क्लीन स्वीप करने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है।
भारत ने इस मामले में पाकिस्तान के साथ संयुक्त रूप से बराबरी कर ली है और 6 सीरीज जीत के साथ टॉप पर काबिज है। इस फेहरिस्त में अफगानिस्तान (5), इंग्लैंड (4) और साउथ अफ्रीका (3) का नाम भी शामिल है। इतना ही नहीं भारत की न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 सीरीज में लगातार 8वीं जीत है।