चीन ने डेटा चुराने के साथ लोगों से 150 करोड़ ठगे
ल्ली। भारत के अंदर चीनी नागरिकों ने एक ऐसी साइबर आर्मी तैयार कर ली है जो आपके घर के अंदर तक घुस चुकी है. वो ना सिर्फ आपके मोबाइल का डेटा चुरा (Mobile Data Hack) सकती हैं, बल्कि आपकी गाड़ी कमाई को भी लूटना चाहती हैं. इसलिए आपको सावधान करना हमारा फर्ज है कि कभी भी जल्दी पैसे कमाने के चक्कर में किसी भी ऐप को डाउनलोड कभी ना करें.
कोरोना वायरस (Coronavirus) को चीन की देन समझा जाता है. जब भारत समेत दुनियाभर के कई देश इस महामारी से जूझ रह थे, वहां लॉकडाउन लगा हुआ था. बाजार, दफ्तर सभी कुछ बंद थे. उस दौरान भी कुछ चीनी भारत के लोगों को ठगने की अपनी शातिर चाल चल रहे थे. इन शातिर चीनियों ने घरों में बंद लोगों को ठगने का एक अनोखा तरीका ढूंढ निकाला. चीन में बैठे 5 से 6 चीनी नागरिकों ने पावर बैंक, लाइटनिंग पावर बैंक, सन फैक्ट्री, ईजी प्लान, पॉकेट वॉलेट नाम से पांच चीनी एप बनाए, और इनको यूट्यूब चैनल, टेलीग्राम चैनल से डाउनलोड कर उसमें कुछ पैसे निवेश कर 24 दिनों में पैसा दोगुना करने का लालच दिया गया. अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए इन लोगों ने बेहद की शातिर तरीके से अपने मंसूबो को पूरा करने के लिए देश के ही लोगों का इस्तेमाल किया.
दिल्ली साइबर सेल के डीसीपी अनियेश रॉय ने बताया कि, ‘हमें सोशल मीडिया पर पॉपुलर हो रहे कुछ ऐप पर शक हुआ. जब उनकी जानकारी निकाली गई तो हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ. जिसके बाद इन ऐप से संबंध रखने वालों को गिरफ्तार कर लिया गया. ये सारे लोग चाइनीज नागरिकों के कहने पर काम कर रहे थे. एकाउंट खुलवा रहे थे. कंपनियां खुलवा रहे थे और उनका कस्टोडियल बनकर इस तरह की गतिविधियां कर रहे थे. साइबर सेल को कुछ ऐसे लोगों के बारे में भी हमे पता चला जो इनको सीधे तौर पर नहीं जानते थे वो इनसे यूट्यूब और टेलीग्राम चैनल के जरिए उनके संपर्क में आए और उनको इन लोगों ने इस काम के लिए देश के अलग अलग कौनो में भर्ती किया.’
अभी तक कि जांच में पुलिस को पता चला है कि चीनी ऐप के जरिए 150 करोड़ से ज्यादा की ठगी को अंजाम देने के बाद पैसों को विदेश भेजा जा रहा था. पुलिस को अभी तक सिर्फ ठगी के शिकार हुए 2 पेमंट गेटवे से 5 लाख लोगों का पता चला है. العاب قمار حقيقية जबकि अभी यूपीआई के जरिए भेजे गए पैसों की डिटेल आनी बाकी है. कम ही समय मे ये चीनी एप कितना लोकप्रिय हुआ इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि बेहद ही कम समय मे इस एप को 50 लाख से ज्यादा लोगों ने डाउनलोड किया था. पावर बैंक नाम का ऐप प्ले स्टोर के टॉप फाइव एप में शामिल हो गया. पुलिस को अपनी जांच में पता चला कि ये एप जिस डिवाइस में डाउनलोड हो रहे थे उसका डेटा चोरी कर रहे थे. जिसके सर्वर बाहर था. अपनी जांच के बाद दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने दिल्ली एनसीआर समेत कई जगहों पर एक साथ रेड की और 11 लोगों को गिरफ्तार किया, गिरफ्त में आए लोगों में 2 सीए भी है, जिन्होंने शैल कंपनियां खुलवाने में मदद कर मोटा पैसा वसूला जा रहा था.
गुरुग्राम के रहने वाले सीए अविक केडिया ने 110 सेल कंपनी बनाकर चीनी नागरिकों को ट्रांसफर कर दीं. वो एक कंपनी के 3 लाख रुपये लेता था, जबकि एक चार्टेड अकाउंटेंट रौनक बंसल दिल्ली का है. डीसीपी के अनुसार, ‘जब हमने मनी ट्रेल को देखा तो पता चला जो पैसा है वो पेमेंट गेटवे से होते हुए बहुत सारी शेल कंपनी में जा रहा था और करोड़ो रुपया अलग अलग अकॉउंट में जा रहा है और फिर मनीलांडरिंग के जरिए 25 के आसपास शेल कंपनी और उनके बैंक अकॉउंट में भेजा जा रहा है.’
लोगों को ठगने के इस अनोखे मॉडल को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया कि जो भी इन चीनी एप को डाउनलोड करेगा उसको 300 रुपये से लेकर लाखों रुपये निवेश करने पर उसकी रकम 24 दिनों में दोगुनी हो जाएगी. लोगों का भरोसा जीतने के लिए ये लोग निवेश की गई रकम का 10 प्रतिशत उसी समय उसके अकाउंट में ट्रांसफर कर देते थे. कुछ दिनों तक निवेश करने वाले लोगों को पैसा मिलता. لعبة تربح منها المال लेकिन बाद में ये लोग उनको पैसा भेजना बंद कर देते.
पुलिस के मुताबिक, 5 लाख से ज्यादा लोगों ने इन एप पर निवेश किया जिन्हें करीब 150 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगा. पुलिस ने 97 लाख रुपये कैश बरामद किया है. पैसे क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से विदेश भेजे जा रहे थे. पुलिस का दावा है कि ये ऐप करीब 50 लाख से ज्यादा लोग डाऊनलोड कर चुके हैं. ऐसे में ठगी के शिकार लोगों की संख्या बढ़ेगी और ठगी की रकम 250 से 300 करोड़ तक हो सकती है.
अब सवाल उठता है कि क्या चीन भारत के लोगों से ठगे गए पैसों का इस्तेमाल भारत के ही खिलाफ जासूसी करने में कर रहा है? पुलिस की जांच अब इसी एंगल पर घूम गई है. رهانات كرة القدم साइबर सेल ने इस केस में एक ऐसे बड़ी कंपनी के मालिक को गिरफ्तार किया है, जिसने अपने कर्मचारियों के नाम से 2 हजार 700 सिम कार्ड चीन (China) भेजे थे. ये कोई ओर नहीं बल्कि नोएडा में स्थित अंतरराष्ट्रीय टेलीकॉम कंपनी एसजी टेलीकॉम के मालिक सतेंद्र सिंह हैं. जांच में पता चला है कि इनमें से कई सिम कार्ड का चीन से ठगी में इस्तेमाल हो रहा है.
पूछताछ में सतेंद्र ने पुलिस को बताया कि उसकी कंपनी विदेश जाने वाल लोगों को अंतरराष्ट्रीय सिम कार्ड मुहैया कराती है. इसी बीच उसे 2700 सिम कार्ड भेजने का ऑर्डर मिला, जिसके बदले उसे करीब 18 लाख रुपये दिए गए. यानी एक सिम कार्ड के बदले करीब 600 रुपये. हालांकि अब साइबर सेल ये पता लगाना चाहती है कि आखिर ऐसी क्या वजह थी कि सतेंद्र ने 2700 सिम कार्ड खुद की कंपनी के कर्मचारियों के नाम एक्टिवेट कराकर बिना केवाईसी भेज दिए. फिलहाल सतेंद्र पुलिस की रिमांड पर है.