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पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने नाम बदलने की कवायद पर जगाई आपत्ति ।

भोपाल: बीजेपी ने भले ही कोई काम न किया हो मगर नाम बदलने मे कोई सानी नही है । देशभर में कई शहर और जगहों के नाम बदलने के बाद अब मध्यप्रदेश में इन दिनों नाम बदलने की मांग ज्यादा जोरों पर है. अब देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर का भी नाम बदलने की चर्चा है.बताया जा रहा है कि इंदौर का नाम बदल कर अहिल्याबाई नगर कर दिया जाएगा. इस पर कई तरह की प्रतिक्रिया आ रही है. इसी कड़ी में इंदौर से आठ बार की सांसद रही व पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने अपनी चुप्पी तोड़ी हैं.
दरअसल पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भोपाल में अलग-अलग मुद्दों पर बयान दिया है. बीजेपी के प्रशिक्षण अभियान से लेकर इंदौर के नाम बदलने की चर्चाओं पर भी अपनी राय पेश की है. उन्होंने कहा कि इंदौर का नाम बदलने की जरूरत नहीं हैं.
वहीं इंदौर के नाम बदलने की चर्चा पर कहा कि इंदौर को अहिल्या नगरी कहते हैं. नाम बदलने की जरूरत नहीं है. इंदौर को वैसे ही लोग अहिल्या नगरी के नाम से जानते हैं. इंदौर के लोगों को वैसे ही अहिल्या नगरी के निवासी कहा जाता है.
जानिए इंदौर का नाम कैसे पड़ा
दरअसल आज भी कई लोग इस बात को जानते नहीं हैं कि इंदौर शहर का नाम किसी मुगल शासक के नाम पर नहीं है. बल्कि खुद अहिल्याबाई होलकर के आराध्य इंद्रेश्वर महादेव (शिव) के नाम पर है. इंदौर के इतिहासकार और जानकार लोग मानते हैं कि इंदौर शहर का नाम पुराने समय में भगवान इंद्रेश्वर के नाम पर ही था. प्राचीन इंदौर में इंदौर का नाम इंद्रपुरी था और इंदौर को भगवान इंद्र की नगरी के रूप में ही जाना जाता था. इसके बाद होलकर रियासत काल के शुरुआती दौर में इंदौर का नाम इंदुर हुआ और समय बदलने के बाद यह शहर इंदौर कहलाने लगा. इसके प्रमाण के रूप में मंदिरों के आसपास आज भी कई साक्ष्य मौजूद हैं. लेकिन अब अहिल्या देवी के आराध्य शिव के नाम के इस शहर का नाम हटाकर मां अहिल्याबाई के नाम पर शहर का नाम करना उनके आराध्य शिव और शिव सेविका मां अहिल्याबाई दोनों का अपमान होगा या सम्मान ये तो सरकार ही जानें.

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