आईएसआई से जुड़ा है काबुल एयरपोर्ट हमले का मास्टरमाइंड
नई दिल्ली। इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) ने काबुल हवाई अड्डे पर हुए हमलों की जिम्मेदारी ली है, जिसमें 13 अमेरिकी नौसैनिकों सहित 100 से अधिक लोग मारे गए और 200 लोग घायल हुए हैं। इस हमले के बाद इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत के प्रमुख मौलवी अब्दुल्ला उर्फ असलम फारूकी, जो एक पाकिस्तानी नागरिक है, चर्चा में बना हुआ है।
असलम काबुल में पिछले साल एक सिख गुरुद्वारा और एक अस्पताल में हुए नरसंहार सहित कई हमलों का मास्टरमाइंड है। आईएसकेपी ने 25 मार्च के काबुल गुरुद्वारा हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कश्मीर के मुसलमानों के लिए बदला लेने का हवाला दिया था, जिसमें एक भारतीय नागरिक सहित कई अफगान सिख और मारे गए थे।
आईएसकेपी के कार्यकर्ता काबुल में हक्कानी नेटवर्क के साथ हमले कर रहे हैं। दोनों संगठन पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े हुए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार तालिबान नेतृत्व की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए आईएसआई आईएसकेपी और हक्कानी नेटवर्क का इस्तेमाल कर रही है।
असलम फारूकी को पिछले साल अप्रैल में अफगान सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार किया था, लेकिन जब तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया, तो उन्होंने बगराम जेल से सभी आतंकवादियों को रिहा कर दिया।
अफगान सुरक्षा बलों की हिरासत में रहते हुए, असलम फारूकी ने आईएसआई के साथ अपने संबंधों को कबूल किया था और इसीलिए पाकिस्तान उसके प्रत्यर्पण के लिए बेताब था, जिसे तत्कालीन अफगान सरकार ने मना कर दिया था।
अब माना जा रहा है कि काबुल हवाईअड्डे पर हुए हमले का मास्टरमाइंड आईएसकेपी का मुखिया असलम फारूकी ही था। तालिबान का दावा है कि आईएसकेपी उसका कट्टर दुश्मन है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि तालिबान ने उसे बगराम जेल से मुक्त कर दिया।
एक हफ्ते पहले, आईएसकेपी के प्रचार वीडियो क्लिप ने तालिबान पर संयुक्त राज्य अमेरिका की कठपुतली होने और सच्चे शरिया का प्रचार नहीं करने का आरोप लगाया था। उसी संदेश में, आईएसआईएस ने अफगानिस्तान में जिहाद के नए चरण का वादा किया और हमलों की एक लहर की शुरूआत की। इस गुरुवार, वे उस वादे पर खरे भी उतरे।
आईएस की आधिकारिक अमाक समाचार एजेंसी का हवाला देते हुए, गार्जियन की रिपोर्ट है कि आईएसकेपी ने आत्मघाती हमलावरों में से एक अब्दुल रहमान अल-लोगारी की तस्वीर जारी की है, जिन्होंने काबुल हवाई अड्डे के पास अपने कथित शहादत अभियान को अंजाम दिया था।
आईएस के बयान में आगे कहा गया है, हमलावर अमेरिकी बलों से कम से कम पांच मीटर की दूरी तक पहुंचने में सक्षम रहे, जो देश से उनकी निकासी की तैयारी में सैकड़ों ट्रांसलेटसर्स और ठेकेदारों से दस्तावेज एकत्र करने की प्रक्रियाओं की निगरानी कर रहे थे।
खुफिया विशेषज्ञों के अनुसार, हालांकि आईएसकेपी अपने प्रतिद्वंद्वी तालिबान की तुलना में कमजोर है, लेकिन इसे हक्कानी नेटवर्क (एचक्यूएन) और इसके नेता सिराजुद्दीन हक्कानी का भारी समर्थन प्राप्त है। बल्कि एक जटिल कड़ी में, हक्कानी तालिबान का एक उप नेता और तालिबान की शांति वार्ता टीम का सदस्य भी रहता है।
इस्लामिक स्टेट ने आधिकारिक तौर पर जनवरी 2015 में खुरासान प्रांत (फारसी साम्राज्य का एक ऐतिहासिक क्षेत्र, जिसमें ईरान, मध्य एशिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हिस्से शामिल हैं) या आईएसआईएस-के या आईएसकेपी के नाम से अपने अफगान सहयोगी सगंठन के गठन की घोषणा की।
पाकिस्तानी नागरिक मौलवी अब्दुल्ला उर्फ असलम फारूकी, जो पहले पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों, लश्कर-ए-झांगवी (एलईजे), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), और फिर तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) आतंकी समूह से जुड़ा था, उसने अप्रैल 2019 में आईएसकेपी प्रमुख के रूप में मौलवी जिया-उल-हक उर्फ अबू उमर खोरासानी की जगह ली। फारूकी ममोजई जनजाति से संबंध रखता है और वह पाक-अफगान सीमा पर ओरकजई एजेंसी क्षेत्र से है।