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महामारी के बीच वैक्सीन पर भ्रम की राजनीति

  अर्ली न्यूज़ नेटवर्क 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमत्री ने तो बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके यहाँ तक कह दिया था कि मैं बीजेपी की वैक्सीन नहीं लगवाऊंगा। ऐसे मिथ्या आरोप जिनका कोई आधार न हो वो सिर्फ आम जनमानस में भ्रम उत्पन्न करने और अपनी राजनीतिक स्वार्थपूर्ति के लिए ही दिए जाते हैं किन्तु दुर्भाग्य ये है कि जिस महामारी से देश में लाखों नागरिक पीड़ित हैं और रोज़ हजारों मौते हो रही हैं उस महामारी में भी हमारे राजनेता ऐसी तुच्छ राजनीती करने से बाज नहीं आते । यहाँ ये ध्यान रखना आवश्यक है कि इन सब मिथ्या आरोपों के बाद भी भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी होने के बावजूद मात्र 85 दिनों में 10 करोड़ टीकाकरण करके विश्व में सबसे तेज टीकाकरण करने वाला देश बन गया,जिसके लिये मोदी सरकार के कुशल प्रबंधन की  तारीफ डब्लू.एच.ओ. और विश्व के अनेकों देशों ने भी की  ।

प्रथम चरण में 60 वर्ष से उपर के वरिष्ठ नागरिकों को वैक्सीन लगायी गयी किन्तु सभी राजनीतिक दलों के आग्रह पर स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा 45 वर्ष से ऊपर के लोगों को भी वैक्सीन लगाने की शुरुआत कर दी गयी और अब आरोप प्रत्यारोपों के बीच 18 वर्ष के ऊपर के नागरिकों का भी टीकाकरण शुरू हो चुका है किन्तु हमारे राजनेता अभी भी आपदा में अवसर तलाशते हुए कभी वैक्सीन की कमी का रोना रोते रहते हैं और कभी मेडिकल स्टाफ की कमी का रोना । जिससे देशवासियों में भ्रम की स्तिथियाँ बनी रहे और वो केंद्र सरकार पर निशाना साध कर अपनी राजनीती चमका सकें ।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में वैक्सीन की कहीं कोई कमी नहीं है,राज्यों को उनकी मांग के अनुसार वैक्सीन उपलब्ध करायी गयी है किन्तु कुछ विपक्षी दलों के द्वारा शासित राज्य सरकारें वैक्सीन लगाने में तत्परता न दिखाकर अपनी लापरवाही और कमियों का ठीकरा केंद्र सरकार पर फ़ोड़कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रही हैं जबकि अपने प्रदेश के नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा करना राज्य के मुख्यमंत्री का दायित्व है इसका सीधा और साफ़ अर्थ है कि किसी भी तरह अपनी नाकामियों को केंद्र सरकार पर थोपकर उसे बदनाम करना ।

टीकाकरण करने में भी राजनीती पूरी तरह हावी हो चुकी है और पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन की डोज़ उपलब्ध होने के बाद भी जानबूझकर कुछ विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों के मुखिया लापरवाही बरत रहे हैं । स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले रविवार तक राज्यों को मुफ्त भेजी गयी वैक्सीन में से 1.84 करोड़ डोज़ बची हुई थी इसके अलावा पिछले बुधवार तक 51 लाख डोज़ इन राज्यों को और पहुँच चुकी थीं किन्तु इतनी वैक्सीन स्टॉक में होने के बाद भी पिछले शनिवार को मात्र 17 लाख 22 हजार लोगों को ही डोज़ दी गयी ! जबकि ये समय राजनीती को छोड़कर समाज के हर व्यक्ति को जल्दी से जल्दी टीकाकरण करके सुरक्षित करना है किन्तु इस वैश्विक आपदा के समय भी विपक्षी दलों का लक्ष्य टीकाकरण नहीं बल्कि किसी भी तरह केंद्र सरकार खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नष्ट करके सत्ता हथियाना है जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने सबका साथ – सबका विकास और सबका विश्वास का जो नारा दिया था उसको चरितार्थ करते हुए उन्होंने सबसे पहले देश के हर नागरिक के जीवन को ध्यान में रखते हुए टीकाकरण पर विशेष जोर दिया जिससे देश के हर नागरिक का जीवन सुरक्षित हो सके ।उन्होंने ऐसी तुच्छ राजनीती से ऊपर उठकर उन राज्यों को पहले वैक्सीन पहुँचाने का आदेश दिया जहाँ लोग ज्यादा संक्रमित हैं फिर चाहे वो गैर-बीजेपी शासित राज्य महाराष्ट्र,दिल्ली,झारखण्ड,छत्तीसगढ़,पंजाब,राजस्थान,केरल हों या उत्तर प्रदेश सहित अन्य कोई बीजेपी शासित राज्य ।

दूसरी तरफ जब अमेरिका ने भारत को वैक्सीन के लिए आवश्यक रॉ-मैटिरियल देने से मना किया तो प्रधानमंत्री ने खुद अमेरिका के राष्ट्रपति से बात की जिसके बाद अमेरिका ने तुरंत ही आवश्यक रॉ-मैटिरियल को  मंजूरी दे दी साथ ही भारत को हर संभव सहायता देने की भी पहल की। इसी तरह प्रधानमंत्री के अपने व्यक्तिगत वैश्विक संबंधों के कारण दुनिया के हर देश ने भारत की जनता के वैक्सिनेशन के लिए हर संभव सहायता देने का भरोसा दिया और उसी का परिणाम है कि आज रूस में निर्मित स्पुतनिक नामक वैक्सीन की 2- लाख डोज़ भारत में तीसरे विकल्प के रूप में उपलब्ध है । जिनका काम सिर्फ कमियाँ ढूंढना ही है वो आज भी अपने काम में तन-मन-धन से लगे हैं किन्तु याद रहे आपदा प्रबंधन में सदैव कमियां निकाली जा सकती हैं चाहे किसी भी दल की सरकार हो किन्तु आपदा के अवसर पर हर दल को राजनीती से ऊपर उठकर सोंचना चाहिये । ये समय केंद्र और सभी राज्य सरकारों को अपनी-अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा व व्यक्तिगत द्वेष भुलाकर एक साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलने का है न कि तुच्छ राजनीती करके अपनी व्यक्तिगत स्वार्थपूर्ति करने का, याद रखिये देश की जनता बहुत जागरूक है । और इन विषम परिस्थितियों को देखने समझने के बाद उसे एक बार फिर अपने और पराये का बोध हो चुका है  ।

लेख- में लेखक के अपने विचार हैं-

E-Mail: earlynews2020@gmail.com

लेखक पं० अनुराग मिश्र स्वतंत्र पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं।

 

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