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मौसम के बदलते रंग ,यलो अलर्ट के साथ धूप छाँव की आँख मिचौली

राजधानी लखनऊ में आज यलो अलर्ट के बावजूद सुबह धूप निकली। आसमान पर कहीं बादलो का नामों निशान नहीं था चमकीली धूप देख ये अनुमान लगाना मुश्किल था कि 2 दिन पहले इतनी झमाझम बारिश हुई है हालांकि 11 बजे के बाद काले बादल फिर घिर आए पर बरसे नहीं। विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे बदलावों को ‘बटर फ्लाई प्रभाव’कहा जाता है।
मौसम विज्ञानियों के अनुसार संभवत: तेज हवाएं बादलों को बहा ले गईं। या फिर बृहस्पतिवार को रिकॉर्डतोड़ बारिश के कारण बादलों की नमी खत्म हो गई होगी या फिर बूंदें इतनी हल्की और छोटी रह गईं कि हवाओं के प्रतिरोध के कारण वे नीचे तक आ ही नहीं सकीं।
सुबह घिरे काले-काले बादल हर कदम यही अहसास करा रहे थे कि अब होगी तेज बारिश। दिन ऐसे ही बीत गया, पर शहर में कहीं बारिश रिकॉर्ड नहीं हुई, हालांकि सुदूर अंचल में पड़ी बौछारों के कारण मौसम विभाग ने .2 मिमी बरसात का दावा किया है।
आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक जेपी गुप्ता के मुताबिक, भीषण बारिश नहीं होगी, पर बरसात का दौर जारी रहेगा, क्योंकि कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। वहीं, मौसम विभाग की वेबसाइट पर लखनऊ को शनिवार के लिए यलो अलर्ट पर रखा गया था, लेकिन शाम को हटा दिया गया।
बीएसआईपी से अवकाश प्राप्त वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. सीएम नौटियाल कहते हैं कि बटरफ्लाई प्रभाव की अवधारणा को छह दशक पूर्व गणितज्ञ व मौसम विज्ञानी एडवर्ड लॉरेंट्ज ने केऑस सिद्धांत के आधार पर समझाया था। इसके मुताबिक यदि वायुमंडल में छोटा परिवर्तन हो तो यह बहुत बड़े परिवर्तन का कारण बन सकता है।
डॉ. नौटियाल ने कहा कि ब्राजील में तितली का पंख फड़फड़ाना टेक्सास में तूफान ला सकता है। वायुमंडल के हर अणु की गति की गणना सुपर कंप्यूटर के भी बस की बात नहीं। अनुमान हमेशा उपलब्ध तथ्यों व आंकड़ों के आधार पर लगाए जाते हैं। यही पैरामीटर्स बन जाते हैं, लेकिन ये तेजी से बदलते हैं परिस्थितियों के अनुसार। आमतौर पर सीमित क्षेत्र के आंकड़ों के अनुमान सही निकल जाते हैं, लेकिन अज्ञात, अनापेक्षित कारक अचरज पैदा कर देते हैं। जैसा कि शुक्रवार के मौसम में दिखा।
लखनऊ विश्वविद्यालय में वरिष्ठ भूवैज्ञानिक प्रो. ध्रुवसेन कहते हैं कि जून से सितंबर तक बरसात का मौसम रहता है। इस बार मई से लेकर अब तक के तापमान पर नजर दौड़ाएं तो पारा मुश्किल से दो-चार दिन ही 40 पार गया है। बीते सप्ताह जरूर उमस ने परेशान किया था, लेकिन पारे की चाल धीमी ही रही। जिस तरह से पारा गिरने से दो दिन से एसी बंद हो गए और पंखे की जरूरत भी महसूस नहीं हुई, उसे देखकर लगता है कि यदि पानी कुछ और दिन बरसा तो सर्दी जल्दी आ जाएगी। वहीं, तेज बरसात बाढ़ का कारण भी बन सकती है।

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