Latest News
सी.एम.एस. में 22 नवम्बर से 54 देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश व कानूनविद् पधारेंगे लखनऊरामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय ने किया एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजनभूस्खलन की वजह से 80 लोगों की मौत, केरल में दो दिनों का शोक, राहुल-प्रियंका जाएंगे वायनाडबंथरा ब्राह्मण हत्या काण्ड: दिवंगत रितिक पाण्डेय के परिवार से मिलेगा ब्राह्मण प्रतिनिधि मंडलकारगिल युद्ध में भारत की विजय को आज 25 साल पूरे Early News Hindi Daily E-Paper 7 July 2024UK आम चुनाव में ऋषि सुनक की करारी हार, लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर नए प्रधानमंत्री7 जुलाई को गुजरात दौरे पर राहुल, गिरफ्तार कांग्रेस कार्यकर्ताओं के घर वालो से मिलेंगेEarly News Hindi Daily E-Paper 6 July 2024Early News Hindi Daily E-Paper 5 July 2024
Newsअर्ली बिज़नेस

मयखाने का बदल रहा निजाम, राजधानी में नई आबकारी नीति लागू करने की घोषणा ।

नई दिल्ली : पीने पिलाने वालों के लिए बड़ी खबर, जान लें नये नियम कानून, इसकी जानकारी हम आपको इस खबर में देने जा रहे है। दरअसल दिल्ली सरकार ने खुदरा शराब कारोबार से खुद को अलग करते हुए बुधवार से राष्ट्रीय राजधानी में नई आबकारी नीति लागू करने की घोषणा की है। दिल्ली सरकार के लाइसेंस पर संचालित होने वाली शराब बिक्री की करीब 600 दुकानों में खुदरा बिक्री का मंगलवार को अंतिम दिन रहा।
देश की राजधानी में बुधवार से लागू होने वाली नई आबकारी नीति में शराब की बिक्री पूरी तरह से निजी हाथों में चली जाएगी। नई आबकारी नीति लागू होने के बाद दिल्ली में करीब 850 निजी शराब बिक्री केंद्र संचालित होंगे जहां से लोग अपनी पसंद की शराब खरीद सकेंगे। बुधवार से ही ये निजी शराब बिक्री केंद्र काम शुरू कर देंगे।

हालांकि, नई व्यवस्था के पहले दिन राजधानी में शराब की उपलब्धता पर थोड़ा असर पड़ सकता है। बुधवार को सिर्फ 250-300 निजी दुकानों के ही खुलने की संभावना है। नई नीति में खुली शराब बिक्री के लिए एल-17 लाइसेंस दिए जाएंगे जिसमें स्वतंत्र रेस्तरां एवं बार भी शामिल हैं। इन रेस्तरां एवं बार में सार्वजनिक प्रदर्शन से बचते हुए शराब परोसी जा सकती है। वहां पर संगीत एवं डीजे की व्यवस्था भी करने की छूट होगी। हालांकि, होटल एवं रेस्तरां संघ ने नई आबकारी नीति में रखे गए मिश्रित शुल्क ढांचे को लेकर नाखुशी जताई है।

संघ की उत्तर भारतीय इकाई ने दिल्ली सरकार के इस शुल्क ढांचे की आलोचना करते हुए कहा कि सालाना एक करोड़ रुपये का शुल्क रखने से कई पांच-सितारा होटल खुद को चार-सितारा होटल के रूप में पंजीकृत कराना चाहेंगे। संगठन की महासचिव रेणु थपलियाल ने कहा कि होटल के लिए निर्धारित शुल्क ढांचा पूरी तरह गैर-आनुपातिक है। उन्होंने कहा कि पांच सितारा होटलों में शराब की बिक्री के लिए शुल्क एक करोड़ रुपया रखने से इस श्रेणी वाले होटलों की संख्या कम हो जाएगी।

Show More
[sf id=2 layout=8]

Related Articles

Back to top button