देहरादून। पंजाब कांग्रेस में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है, लेकिन प्रदेश प्रभारी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यहां उपजे इस विवाद को गंभीर नहीं माना है। उनका कहना है कि पार्टी के भीतर अपनी बात रखना और नाराजगी जाहिर करना बगावत की श्रेणी में नहीं आता है। रावत ने ये भी कहा कि ऐसा नहीं है कि पार्टी ने पूरी कांग्रेस नवजोत सिंह सिद्धू को सौंप दी है।
पार्टी के भीतर वरिष्ठ जनों में अम्बिका सोनी, कैप्टन अमरिंदर सिंह, तृप्त रजिंदर सिंह बाजवा, सुखजिंदर रंधावा, सुख सरकारिया, चरनजीत सिंह चन्नी लंबे समय से कांग्रेस की सेवा कर रहे हैं। मैं उनकी बातें सुनकर समाधान का रास्ता निकालूंगा।
हरीश रावत ने बताया कि नाराज मंत्री और विधायक बीते मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से मिले थे। उसके बाद उन्होंने मुझसे मिलने के लिए समय मांगा। आज मैं उनकी बातें सुनकर उसके समाधान का रास्ता तलाशने का प्रयास करूंगा।
वहीं, पत्रकारों से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में हरीश रावत ने कहा कि वर्ष 2016 में मेरे खिलाफ जिन विधायकों ने विरोध का बिगुल बजाया उनके पीछे एक सशक्त पार्टी का हाथ था। पंजाब में स्थिति ऐसी नहीं है, वहां पार्टी के भीतर ही कुछ बातों को लेकर विधायक और मंत्रियों में मनमुटाव है। इसका बातचीत से बाद समाधान निकाल लिया जाएगा। हरीश रावत ने कहा कि पार्टी के भीतर अपनी बात रखना व नाराजगी जाहिर करना बगावत की श्रेणी में नहीं आता है।