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वरिष्ठ पत्रकार अनूप श्रीवास्तव और अम्बिका दत्त मिश्र के निधन पर शोक सभा आयोजित

अर्ली न्यूज़ नेटवर्क।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति की तरफ से एनेक्सी मीडिया सेन्टर में वरिष्ठ पत्रकार एवं स्वतंत्र  भारत के पूर्व स्थानीय संपादक अनूप श्रीवास्तव और अम्बिका दत्त मिश्र के निधन पर शोक सभा आयोजित हुई। उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर दो मिनट का मौन रखकर आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई।

अर्ली न्यूज़ हिन्दी दैनिक के संपादक आनन्द गोपाल चतुर्वेदी पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देते हुए।

मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सचिव भारत सिंह ने स्मृति शेष दोनों ही पत्रकारों के जीवन की खूबियों पर प्रकाश डालते हुए उनको नमन किया और श्रद्धांजलि अर्पित की। वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर ‘पंकज’ ने बीते दौर की पत्रकारिता का जिक्र करते हुए बताया कि अनूप श्रीवास्तव को लोग पढ़ते थे, स्वतंत्र भारत का काँव-काँव हमेशा याद आता है।

वरिष्ठ पत्रकार राकेश पाण्डेय ने बताया कि दोनों ही पत्रकार अपनी विधा में माहिर पत्रकार थे। सर्वेश कुमार सिंह ने संस्मरण सुनाए। के बख्स ने दोनों को ही उच्च श्रेणी का पत्रकारों बताया। वीरेंद्र सक्सेना ने बताया कि दोनों ही पत्रकार अपने अपने क्षेत्र में माहिर पत्रकार थे। हिन्दी दैनिक स्वतंत्र भारत की प्रतिष्ठा में दोनों का बड़ा योगदान रहा, अनूप श्रीवास्तव द्वारा लिखित काँव-काँव खासा चर्चा में रहता था।

अपने वरिष्ठ स्व० साथी को श्रद्धांजलि देते  हुए पत्रकार।

जिस दिन नहीं छपता था तो फोन आते थे और लोग वजह पूछते थे। प्रमोद गोस्वामी ने एक सप्ताह में दो पत्रकार साथियों के जाने का दु:खद संयोग बताते हुए कहा कि शासन-प्रशासन में सम्मान के बावजूद अनूप श्रीवास्तव में घमंड बिल्कुल नहीं था। अम्बिका दत्त मिश्र ने अपराध की पत्रकारिता में कई आयाम स्थापित किए हैं। कहा जाता था कि शहर में अपराध होने के पहले सूचना अम्बिका जी के पास आ जाती थी। दोनों ही पत्रकारों की लेखन शैली की सराहना करते हुए भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

जनसंदेश सुरेश बहादुर सिंह ने बताया कि क्राइम रिपोर्टिंग में अम्बिका मिश्र का कोई सानी नहीं है, उसी तरह अनूप श्रीवास्तव को लखनऊ महोत्सव में होने वाले कवि सम्मेलन में हमेशा याद किया जाएगा। कई संस्मरण साझा करते हुए उन्होंने कहा नए पत्रकारों को अनूप श्रीवास्तव के जीवन से सीखना चाहिए। भास्कर दुबे ने सन् 1986 की पत्रकारिता का जिक्र करते हुए बताया कि उस दौर में ये दोनों ही स्टार रिपोर्ट थे। पत्रकारों से लेकर अधिकारियों तक में चर्चा होती थी। वह दौर पत्रकारिता का स्वर्णिम काल था, शासन व प्रशासन के अधिकारी भी सलाह लेते थे। प्रभात त्रिपाठी ने अनूप श्रीवास्तव को बड़े व्यंग्यकार, कवि की संज्ञा देते हुए अपने कई स्मरण साझा कर याद किया। अम्बिका दत्त को स्पष्टवादी वक्ता बताया और राजीव बाजपेई ने दोनों के निधन के समाचार को दु:खद बताते हुए कहा कि लगता है सभी का रास्ता एक है। उन्होंने अम्बिका मिश्र को दबंग पत्रकार बताया और कि उनकी खबरें यादगार हैं। दोनों का जाना पत्रकारिता की बहुत बड़ी क्षति है। दिलीप सिन्हा ने अपने संस्मरणों से सच्ची श्रद्धाजंलि अर्पित की। नावेद शिकोह ने अनूप श्रीवास्तव को बड़ा सच्चा पत्रकार बताया और कहा कि उन्होंने उनसे बहुत कुछ सीखा है।

प्रदेश में इस पत्रकारिता को सम्मान दिलाने वाले पत्रकार आज भी हैं, नए पत्रकारों को मौजूद अपने वरिष्ठ पत्रकारों से सीखना चाहिए। शोक सभा में अविनाश मिश्र, मुकुल मिश्रा, शेखर पंडित, वेद दीक्षित, अशोक राजपूत, डीपी शुक्ल, आनन्द गोपाल चतुर्वेदी, शेखर श्रीवास्तव, धीरेन्द्र श्रीवास्तव, आलोक कुमार त्रिपाठी, वेद दीक्षित, सुनील दिवाकर, संजीव यादव, अविनाश शुक्ल, सुमन्त शुक्ल, अजीत सिंह, श्यामल त्रिपाठी, विजय त्रिपाठी, अनूप चौधरी, अब्दुल सत्तार, समीर नवाब, भूपेन्द्र मणि त्रिपाठी, भौमेन्द्र शुक्ल, गंगेश मिश्र, नैमिष सिंह, एनके सिंह आदि दर्जनों पत्रकारों ने दोनों ही स्मृति शेष पत्रकारों के चित्र पर पुष्पाजंलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आत्मा की शांति की प्रार्थना की।

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