नई दिल्ली। राजनीती के गलियारे में आए दिन कुछ न कुछ होता ही रहता है। यहाँ पर तानो की छटाकसी लगी रहती है। इसी क्रम में नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (एनएमपी) नीति को लेकर कांग्रेस और भाजपा में घमासान जारी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर इस योजना के माध्यम से राष्ट्रीय परिसंपत्तियों को बेचने का आरोप लगाया तो भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और दार्जिलिंग से सांसद राजू बिष्ट ने कहा है कि राहुल गांधी को मोनेटाइजेशन (मुद्रीकरण) और प्राइवेटाइजेशन (निजीकरण) में अंतर ही नहीं मालूम है।
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि राहुल गांधी और कांग्रेस को असेट्स मोनोटाइजेशन और प्राइवेटाइजेशन में अंतर ही नहीं मालूम है। कांग्रेस भ्रष्टाचार का दूसरा नाम है। 70 साल से कांग्रेस देश को लूटती आई है। कांग्रेस का तरीका था कि पहले राष्ट्रीय संपत्तियों को बर्बाद करो और फिर कौड़ियों के भाव उसे खरीदो या रिश्तेदार को बेच दो। नेशनल हेराल्ड केस इसका जीता-जागता उदाहरण है। जहां कांग्रेस ने दो हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति को जब्त किया।”
बिष्ट ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी, दोनों नेशनल हेराल्ड केस में बेल पर हैं। एक लाख करोड़ से ज्यादा नेशनल असेट था, उसे प्राइवेटाइज किया, यानी उसे बेच दिया। आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार राष्ट्रीय परिसंपत्तियों को प्राइवेटाइज नहीं कर रही है, बल्कि मोनेटाइज कर रही है। उसकी मिल्कियत भारत सरकार के पास ही रहेगी।
बता दें कि नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन नीति के मुद्दे पर विपक्ष के लगातार हमले किए जाने के बाद भाजपा भ्रम दूर करने में जुटी है। भाजपा की ओर से इस नीति के उद्देश्यों के बारे में जानकारी देने वाला कैंपेन भी चलाया जाने लगा है। सरकार और संगठन दोनों स्तर से इस मुद्दे पर स्थिति साफ की जा रही है। नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन नीति को लेकर भाजपा ने कहा है कि इससे न सिर्फ देश में वल्र्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्च र बनाने में मदद मिलेगी, साथ ही इससे रोजगार के नए अवसरों का सृजन होगा।
भाजपा नेताओं के मुताबिक, सरकारी संपत्तियों से आगामी चार वर्षों में सरकार छह लाख करोड़ रुपये एकत्र करेगी। संपत्ति का स्वामित्व पूर्णतया सरकार के पास बना रहेगा। संपत्ति चार वर्ष या तय अवधि के बाद सरकार को वापस सौंप दी जाएगी। इससे वल्र्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्च र बनाने में मदद मिलेगी। इससे रोजगार के नए अवसरों का सृजन होगा।
योजना में सड़क, बंदरगाह, हवाईअड्डे, रेलवे, गोदाम, गैस, बिजली, खनन, दूरसंचार, गोदाम, गैस, बिजली, खनन, दूरसंचार, स्टेडियम, हॉस्पिटैलिटी और आवास शामिल हैं। निजी क्षेत्र के निवेश से इन सभी क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा। कम उपयोग की परिसंपत्तियों से बेहतर मूल्य हासिल किया जा सकेगा।
भाजपा के मुताबिक, मुद्रीकरण का मतलब संपत्ति की बिक्री नहीं है, बल्कि सरकार का पूर्ण स्वामित्व बरकरार रहेगा। सार्वजनिक कल्याण सुनिश्चित करने के लिए निजी क्षेत्र को सख्त मानकों का पालन करना होगा। नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के माध्यम से संपत्तियों को बेचा या उसका निजीकरण नहीं किया जा रहा है, बल्कि इसे किराए पर दिया जा रहा है।