साहिब बंदगी संत आश्रम में सत्संग एवं भंडारे का आयोजन
धीमर जाल डाल का करिहय। जब मीनहि हो गया पानी॥

भारतेन्दु शुक्ल
अर्ली न्यूज़ नेटवर्क।
सीतापुर। साहिब बंदगी संत आश्रम लश्करपुर बिसवां में सतगुरु मधु परमहंस द्वारा दिव्य सत्संग का आयोजन किया गया। साहिब बंदगी संत आश्रम लश्करपुर में सतगुरु साहिब के वचनों से संगत को परम शांति की प्राप्त हुई। सतगुरु साहिब ने कहा कि धीमर जाल डाल का करिहय जब मीनहि हो गया पानी अर्थात जब मछली को पानी बनने की कला आ गई तो धीमर (मछवारा ) क्या करेगा मछली को नहीं पकड़ पाएगा। पुष्टि करने के लिए यहां यह भी कहना उचित रहेगा की मरते-मरते जग मुआ मरण न जाना कोय। ऐसी मरनी न मरा जो बहुर न मरना होय। सभी धर्म का मानना है कि मरने के बाद आत्मा को शरीर से निकालकर देवदूत ले जाते हैं। अब यहां सवाल उठ रहा है कि भला आत्मा को पकड़ते कैसे हैं? आत्मा तो पकड़ी नहीं जा सकती है। उसे कोई बांध ही नहीं सकता, फिर यह क्या मामला है यमदूत आत्मा को कैसे पकड़ते हैं? तो सुनो यमदूत श्वास को पकड़ते हैं, यमदूत प्राणों को पकड़ते हैं। और आत्मा प्राणो से बहुत अधिक प्रेम करती है।
सतगुरु साहिब ने कहा कि अगर आपकी कोई नाक बंद करें तो आप पूरा जोर लगाएंगे स्वास लेने के लिए। इसकी पुष्टि भी हो रही है जब कोई मर जाता है तो लोग कहते हैं कि यमराज इसके प्राण निकालकर ले गया। सतगुरु साहिब ने कहा की आत्मा प्राणों में में समाई हुई है। साहिब जी ने आगे कहा आपने सुना और देखा भी होगा कि सर्कस में तमाम जानवर होते हैं। सर्कस जब कहीं जाती है देश-विदेश तो वह जानवर भी देश-विदेश जाते हैं और घूमते हैं। लेकिन वह बंधे हुए हैं। ठीक वैसे ही आत्मा भी प्राणों में समाई हुई है।
लोग समझते नहीं हैं सुमिरन की प्रासंगिकता बहुत बड़ी है। साहिब जी ने कहा जप तप संयम साधना सब सुमिरन के माहि। कबीर जाने संत जन सुमिरन सम कुछ नाहि।
साहिब जी ने कहा सुमिरन का महत्व बहुत अधिक है। आत्मा अनादि काल से इस संसार में भटक रही है।
मन में वह ताकत नहीं है कि वह आत्मा को बांधे आत्मा स्वयं बंधी हुई है। साहिब ने कहा- जिस प्रकार तिलों में तेल सार है। दूध में घी सार है। ठीक उसी प्रकार इस मानव शरीर में स्वासा सार है। सतगुरु साहिब ने संगत को सुरति (ध्यान) को संभालने की बात कही। सतगुरु साहिब ने कहा कि सब कुछ करते हुए भी हम स्वास में नाम जपने की कला को जान सकते हैं बशर्ते सुरति (ध्यान) साहिब/गुरूजी में रखना। सत्संग के उपरांत आरती एवं विशाल भंडारा का आयोजन हुआ। भंडारे में सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। सत्संग में आए हुए संगत के कुछ लोगों से हमारे संवाददाता ने जब बात की तो लोगों ने बताया कि सतगुरु साहिब जी की महिमा अनंत है। जब से साहिब जी से जुड़े हैं नाम दान लिया है जीवन सरल एवं शांतिप्रिय हो गया है। काम धाम ठीक रूप से चलने लगा है विसंगतियां दूर हो गई हैं।