AAP पर लगे गंभीर आरोप, मान्यता रद्द्द होने की आई नौबत…
NEW DELHI: आम आदमी पार्टी पर सविधान उलंघन का आरोप लगा ह जो की एक गंभीर आरोप है। इस पर आप के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है जिसके मद्देनज़र आप की मान्यता रद्द करने की मांग उठी है। हाईकोर्ट में दायर याचिका को ले कर बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं आप पार्टी पर आरोप है कि उसने सरकारी धन का इस्तेमाल अपने धार्मिक कार्यों मे किया गया है। मान्यता रद्द करने की मांग वाली इस याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार और निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा गया है। चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस अमित बंसल की बेंच ने स्पष्ट किया कि वह केंद्र, दिल्ली सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस भेज रही है, ना कि मुख्यमंत्री और राज्य के अन्य मंत्रियों को। वकील ने उक्त पक्षों से निर्देश प्राप्त करने और जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिसके बाद अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए आठ नवंबर की तारीख तय की।
याचिकाकर्ता और वकील एम.एल. शर्मा ने कहा कि वह ‘आप’ की एक राजनीतिक दल के रूप में मान्यता समाप्त करने तथा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं अन्य मंत्रियों को संवैधानिक पद से हटाने का निर्देश देने का अनुरोध कर रहे हैं क्योंकि कथित रूप से जानबूझकर संविधान और जन प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन किया गया है। दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह पूरी तरह शरारतपूर्ण याचिका है जिसे जनहित याचिका के रूप में दाखिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इसे खारिज किया जाना चाहिए और भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच धार्मिक आयोजनों को रोकने के लिए फैसला किया गया था और दिल्ली सरकार ने भीड़ से बचने के लिहाज से पंडालों को लगाने पर रोक लगाई थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने मीडिया से केवल इतना अनुरोध किया था कि लोगों की उत्सव में भागीदारी के लिए उनके आवासों से कवरेज किया जाए। मेहरा ने कहा कि सरकार द्वारा धार्मिक समारोहों की सुविधा देना कोई नई बात नहीं है और यह हर बार कुंभ मेले और अमरनाथ यात्रा के दौरान किया जाता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना राज्य का गंभीर कर्तव्य है।
याचिका में कहा गया है कि ‘आप’ के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी कार्यक्रम का आयोजन किया था जिसका टेलीविजन चैनलों पर सीधा प्रसारण किया गया था और कहा गया था कि उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित संवैधानिक आदेश के तहत राज्य धार्मिक समारोहों को बढ़ावा नहीं दे सकता। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और किसी भी सरकार को जनता के पैसे का इस्तेमाल करके धार्मिक गतिविधियों में लिप्त नहीं देखा जा सकता है। हाईकोर्ट ने पहले शर्मा की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें दिल्ली सरकार के सरकारी खजाने से गणेश चतुर्थी के आयोजन और विज्ञापन जारी करने के कदम को अवैध घोषित करने की मांग करते हुए कहा गया था कि याचिका जल्दबाजी में और उचित होमवर्क किए बिना दायर की गई थी और उन्हें उचित तरीके से एक नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी गई थी।