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सुप्रीम कोर्ट का निजी स्कूलों को संदेश, बताना होगा अन्य फीस किस मद से ली है

दिल्ली: निजी स्कूल संचालकों पर शिकंजा कस दिया है। निजी स्कूल संचालक अब ट्यूशन फीस के नाम पर मनमानी नहीं कर पायेंगे. मध्यप्रदेश में स्कूल संचालकों को यह बताना होगा कि कोरोना काल के दौरान वह पहली से लेकर 12वीं तक के छात्रों से कितनी और किस मद जैसे खेलकूद, वार्षिक कार्यक्रम, लाइब्रेरी और सांस्कृतिक एक्टिविटी समेत अन्य तरह की फीस ले रहे हैं.इसकी पूरी जानकारी मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग को देना होगी.

शासन को यह जानकारी लेकर दो सप्ताह के अंदर ऑनलाइन जमा करना होगा. यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लिए जाने के पहले के आदेश को लेकर दिया है. जागृत पालक संघ मध्यप्रदेश ने इस संबंध में याचिका दायर की थी. सबसे बड़ी बात कि यह डबल बेंच का फाइनल आदेश है. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश सीधे सरकार को दिए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि स्कूलों को बताना होगा कि वह पालकों से जो फीस ले रहे हैं, वह किस किस मद में ले रहे हैं. उसके अलग-अलग हेड बताना होंगे. यह जानकारी स्कूलों से जिला शिक्षा समिति को लेना होगी. इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग मप्र शासन को इस जानकारी को दो सप्ताह में वेबसाइट पर अपलोड करेगा. संघ के वकील अभिनव मल्होत्रा, मयंक क्षीरसागर और चंचल गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने अभिभावकों को राहत देते हुए कहा कि किसी भी अभिभावक को स्कूल से कोई शिकायत है, तो वह जिला समिति के सामने अपनी बात रखेगा. समिति को 4 सप्ताह में इसका निराकरण करना होगा. पूर्व में अभिभावकों के द्वारा की जाने वाली शिकायत पर जिला प्रशासन गंभीर नहीं होता था. अधिकार क्षेत्र नहीं होने का कहकर टाल देते थे. इस कारण सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है.

स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल में फीस की जानकारी ते ही अभिभावक उस पर संबंधित स्कूल की जानकारी देख सकेंगे. इसके आधार पर तुलना करके वे आकलन कर पाएंगे. ट्यूशन फीस के नाम पर कितना पैसा लिया जा रहा है, इसका पता चल सकेगा. स्कूल करीब 14 से 15 मद में बच्चों से फीस लेता है. उसमें से एक मद ट्यूशन फीस होती है. कुल फीस को सभी मदों में बताने से ट्यूशन फीस सामने आ जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में प्राइवेट स्कूलों को फीस को लेकर दिए हुए आदेश का हवाला देते हुए यह फैसला सुनाया. राजस्थान में निजी स्कूलों को पूरी फीस में से 15 प्रतिशत की कटौती करने के निर्देश दिए गये थे.

वर्तमान सत्र में भी ट्यूशन फीस के नाम पर ली जा रही पूरी फीस, वर्तमान सत्र में की गई फीस बढ़ोतरी, फीस जमा न करने के कारण पढ़ाई बंद करने. टीसी नहीं देने और परीक्षा परिणाम रोकने जैसी परेशानियों को लेकर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका लगी है. इस पर सितंबर के प्रथम सप्ताह में सुनवाई होना संभावित है.

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