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मधुबनी के मखाने की दुनिया भर में धूम, विदेशों में उसकी भारी मांग

मधुबनी: भारत देश में जहां पौष्टिक आहारों की कमी नहीं है स्वास्थ्यवर्धक यह पौष्टिक आहार शक्ति देने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होते हैं इन्हीं में से एक है भारत में पैदा होने वाला मखाना, शायद ही कोई ऐसा हो जो मखाने को पसंद ना करता हूं इसके अनगिनत फायदे हैं भारत में लोग इसे व्रत आहार के रूप में प्रयोग करते हैं। दशहरा से पहले जिले में होनेवाले मखाना और इससे बनने वाले विभिन्न उत्पादों की देश-विदेश से मांग आ रही है। इस नवरात्र इसका घरेलू और विदेशी कारोबार करीब 20 करोड़ होने का अनुमान है।
मधुबनी में 11 हजार से ज्यादा तालाब हैं। छह हजार से अधिक में मखाने की खेती होती है। अगस्त के आखिरी सप्ताह से तालाबों से मखाना निकाला जा रहा है। तकरीबन 10 हजार ङ्क्षक्वटल मखाना उत्पादित होने का अनुमान है। इस समय पैकेट बंद प्लेन मखाना, मखाना खीर, मखाना पाउडर, मखाना सकरौरी और रोस्टेड मखाने का उत्पादन हो रहा है।

इंग्लैंड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, दुबई, इराक, ईरान, सऊदी अरब, कुवैत, कतर सहित अन्य देशों से तकरीबन 300 क्विंटल मखाना और इसके उत्पाद की मांग आई है। मखाना के पैकेट बंद उत्पाद की आपूर्ति जिले के जरैल व अरेड़ गांव स्थित मिथिला नेचुरल यूनिटों से की जा रही है। वर्ष 2016 से दोनों यूनिटें चला रहे मनीष आनंद झा ने बताया कि उनका पैकेट बंद मखाना देश के 150 शहरों के अलावा इंग्लैंड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया के अलावा खाड़ी देशों में जाता है। इस वर्ष देश में सात करोड़ व विदेश में तीन करोड़ रुपये कारोबार होने का अनुमान है। मुंबई बंदरगाह से मालवाहक जहाजों से विदेश में मखाना भेजा जाता है। इसके अलावा जिले के करीब दो दर्जन मखाना व्यापारी इस काम में लगे हैं। इस नवरात्र मखाने का घरेलू और विदेशी कारोबार करीब 20 करोड़ होने की उम्मीद है।
मखाने की खेती से 20 हजार किसान जुड़े हैं

मखाना किसान कपिलदेव झा, महादेव सहनी और सीताराम यादव ने बताया कि मार्च, अप्रैल में तालाब में इसकी खेती होती है। अगस्त में फसल तैयार होती है। बारिश के पानी में होने वाले मखाने में मिठास होता है। इसमें किसी प्रकार की खाद का प्रयोग नहीं होता है। इसके अलावा कुछ किसान निचले खेतों में भी मखाना की खेती करते हैं, लेकिन इसमें उत्पादित होने वाले मखाने का स्वाद अलग होता है। इसकी खेती से करीब 20 हजार किसान जुड़े हैं। करीब 50 हजार श्रमिकों को रोजगार मिलता है।
जिले के मखाना किसान और इसके कारोबारियों के प्रयास से पैकेट बंद उत्पाद देश-विदेश में आसानी से उपलब्ध होने लगा है। मधुबनी के मखाने की क्वालिटी बेहतर होती है। -विनोद शंकर सिंह, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र, मधुबनी है ।दरभंगा के कारोबारी भी मखाने की विदेशों में सप्लाई कर रहे हैं। बहेड़ी के मखाना उत्पादक राजकुमार महतो बताते हैं कि जिले में 12 से 15 हजार क्विंटल उत्पादन होता है। व्यवसायियों को इस नवरात्र 10 से 12 करोड़ का कारोबार होने की उम्मीद है।

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