भारत के 70 प्रतिशत लोग करते हैं मांसाहार, फिर भी होता है बिरियानी पर बवाल।
नई दिल्ली, कहावत है कि इश्क़ जितना दबाओगे उतना और उभरेगा, यही समस्या भारत मे नॉन वेज खाने वालों की है, सरकार प्रतिबंध लगाने के नये फार्मूले लाती है, और खाने वालों की संख्या महंगाई की तरह बढ़ती जा रही हैं ।अब गुजरात सरकार ने फैसला किया है कि खुले आसमान तले नही बेच सकते हैं नॉन वेज, अहमदाबाद में सड़क किनारे लगे स्टॉल अब इस प्रकार मीट नहीं बेच सकेंगे। इसके अलावा गुजरात के दो अन्य प्रमुख शहर वडोदरा और राजकोट में प्रशासन ने विक्रेताओं को मांसाहारी चीजों को कवर करने का निर्देश दिया है।
वहीं, गुरुग्राम में भी मीट की दुकानों को खोलने के लिए दिन तय किए गए हैं। सरकार मीट और मीट से बने उत्पादों की सार्वजनिक बिक्री पर लगाम लगाने की चाहे जितनी भी कोशिश कर ले लेकिन हकीकत ये है कि भारत में मीट की खपत लगातार बढ़ती जा रही है, यानी मांसाहार खाने वाले लोगों की संख्या कम होने के बजाय दिनोंदिन बढ़ रही है।
कुछ रिपोर्टों से इस इस बात का खुलासा हुआ है कि भारत में 70 प्रतिशत से अधिक लोग मीट, मछली या अंडों का सेवन करते हैं। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि अंडे के पोषण मूल्यों को जानते हुए भी लगभग 1 दर्जन राज्यों ने अपने स्कूलों में मिड डे मील में अंडों को भोजना का हिस्सा नहीं बनाया है।
कम मांसाहारी आबादी वाले राज्य मेनू में अंडे जोड़ने में सबसे अधिक अनिच्छुक हैं। बच्चों के खाने में अंडे को शामिल करने का फैसला हाल ही में देश में बहस का विषय बना हुआ है। मध्य प्रदेश सरकार ने जहां अंडों को बच्चों के मिड डे मील से हटा दिया वहीं कर्नाटक ने इन्हें अपने मील में शामिल किया है।
मीट को लेकर बढ़ रही भारतीयों की दीवानगी
भारत में शाकाहार पर बहस कभी पुरानी नहीं होती। वहीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 डेटा से पता चला है कि देश में 70 प्रतिशत महिलाएं और 78 प्रतिशत पुरुष किसी न किसी रूप में मांस का सेवन करते हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, ओडिशा और झारखंड ऐसे राज्य हैं जहां मांसाहारी लोगों का अनुपात 97 प्रतिशत से अधिक है। इसके विपरीत, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान में सबसे कम मांसाहारी आबादी (40 प्रतिशत से कम) है।
इनकम बढ़ने के साथ बढ़ रही मांस की खपथ
भारत में मांस की खपत आय में वृद्धि के साथ बढ़ी है, जैसा कि अन्य जगहों पर हुआ है। भारत में 2020 में 6 मिलिटन टन मांस की खपत थी। भारत में लगभग आधी आबादी सप्ताह में एक बार मांस का सेवन करती है। संयोग से, पश्चिम बंगाल और केरल सहित केवल नौ राज्य हैं, जहां मांस की खपत पर कोई प्रतिबंध नहीं है। जबकि अधिकांश अन्य राज्यों में मांस के प्रकार के आधार पर किसी न किसी प्रकार का प्रतिबंध होता है।
मीट उत्पादन में विश्व में छठे स्थान पर भारत
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के अनुसार वैश्विक मांस उत्पादन में भारत का हिस्सा 2.18 प्रतिशत है। यानी चीन, अमेरिका, ब्राजील, रूस और जर्मनी के बाद भारत मीट उत्पादन में छठे नंबर पर है। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अनुसार, भारत में मांस उत्पादन 2014-15 से 2019-20 तक 5.15 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। आरबीआई के अनुसार भारत के कुल मीट उत्पादन में 30 प्रतिशत हिस्सा भैंस के मीट का है। वहीं, अगर राज्य स्तर की बात करें तो मीट का सर्वाधिक उत्पादन उत्तर प्रदेश में (15 प्रतिशत), महाराष्ट्र (13 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (10 प्रतिशत) होता है। भारत में मांस की खपत 2010 से घटनी शुरू हो गई थी, लेकिन 2014 के बाद एक बार फिर इसमें तेजी आई है।