लखनऊ : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 का करीब आता वक़्त , सभी राजनीतिक पार्टियों की सरगर्मियां और हलचल बढता जा रहा है , एक के बाद एक सभी राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे के गढ़ में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं. बीजेपी खास तौर पर सपा के गढ़ में पहुंचकर सेंधमारी की कोशिश में जुटी है. पिछले लोकसभा चुनाव में यूपी की कुल 80 लोकसभा सीटों में से ‘सपा’ के खाते में 5 सीटें- आजमगढ़, मुरादाबाद, रामपुर, संभल और मैनपुरी आई थीं. बीजेपी अब इन पांच लोकसभा की सभी विधानसभा सीटों को अपने खाते में डालने की पूरजोर कोशिश में बार-बार यहां दौरे कर रही है. और की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी कर रही है.
पिछले विधानसभा चुनाव में सपा का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में कुल 10 विधानसभा सीटों में से सपा को पांच सीटों पर जीत मिली थी, बसपा को 4 सीटें मिली थीं और बीजेपी ने अपना खाता खोलते हुए 1 सीट पर जीत दर्ज की थी. इस बार बीजेपी अधिक सीटें जीतने की मंशा यहां रैलियां कर रही है और अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोल रही है.
संभल की चार विधानसभा सीटों में से दो पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है, जबकि दो सीट पर बीजेपी का. संभल सीट पर सपा का कब्जा है. यह सीट सपा के लिए सुरक्षित मानी जाती है. इस बार संभल की चारों सीटें अपने कब्जे में करने की मंशा लिए बीजेपी यहां भी जीतोड़ मेहनत कर रही है.समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के दबदबे वाली रामपुर विधानसभा सीट पर इस बार चुनाव बेहद अहम है. मुस्लिम बहुल इस सीट से खुद आजम खान 9 बार विधायक रह चुके हैं. फिलहाल घोटाला मामले में आजम खान और उनके बेटे लंबे समय से जेल मे बंद हैं. वहीं बीजेपी उनके गढ़ में सेंधमारी के प्रयास में जुटी है. किसान आंदोलन ने वेस्ट UP में बीजेपी की मुश्किलें पहले ही बढ़ा रखी हैं. ऐसे में सपा का गढ़ समझे जाने वाले मुरादाबाद मंडल में 2017 के प्रदर्शन को दोहरा पाना बीजपी के लिए टफ टास्क होगा. क्योंकि, 2017 में UP में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बावजूद साल 2019 में बीजेपी मुरादाबाद मंडल में अपने सभी छह सांसद गंवा चुकी है.
यह उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है. यह सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी. अब इस बार मैनपुरी विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह तो 2022 में जनता तय करेगी. लेकिन अगर मैनपुरी की बात करें तो राम लहर और मोदी लहर के बावजूद 1996 से लेकर अब तक यह लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के पास ही है. इसका असर विधानसभा चुनाव में देखने को मिलता है. यही कारण है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जहां पूरे प्रदेश में शानदार प्रदर्शन किया लेकिन मैनपुरी सीट से अपने प्रत्याशी को हार से नहीं बचा पाई. बीजेपी 2022 मैं इस सीट को अपने खाते में डालने के लिए पूरा प्रयास कर रही है.
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