Latest News
सी.एम.एस. में 22 नवम्बर से 54 देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश व कानूनविद् पधारेंगे लखनऊरामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय ने किया एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजनभूस्खलन की वजह से 80 लोगों की मौत, केरल में दो दिनों का शोक, राहुल-प्रियंका जाएंगे वायनाडबंथरा ब्राह्मण हत्या काण्ड: दिवंगत रितिक पाण्डेय के परिवार से मिलेगा ब्राह्मण प्रतिनिधि मंडलकारगिल युद्ध में भारत की विजय को आज 25 साल पूरे Early News Hindi Daily E-Paper 7 July 2024UK आम चुनाव में ऋषि सुनक की करारी हार, लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर नए प्रधानमंत्री7 जुलाई को गुजरात दौरे पर राहुल, गिरफ्तार कांग्रेस कार्यकर्ताओं के घर वालो से मिलेंगेEarly News Hindi Daily E-Paper 6 July 2024Early News Hindi Daily E-Paper 5 July 2024
राष्ट्रीय

अरूणाचल प्रदेश में बस गया पूरा गाँव,अमेरिकी पेंटागन की रिपोर्ट में दावा ।

वॉशिंगटन/नई दिल्ली, अमेरिकी संसद में भारत और अरूणाचल प्रदेश को लेकर बहुत बड़ा दावा किया गया है।, पेंटागन की एक रिपोर्ट में बताया गया है, कि चीन ने ना सिर्फ अरूणाचल प्रदेश में घुसपैठ की है, बल्कि चीन अरूणाचल प्रदेश में घुसकर भारत की जमीन पर बहुत बड़े गांव को बसा चुका है।
इस अमेरिकी रिपोर्ट के बाद हड़कंप मच गया है। अमेरिका के पेंटागन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, चीन ने अरुणाचल प्रदेश में एक विवादित क्षेत्र में एक बड़ा गांव बनाया है और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपने दावों को दबाने के लिए लगातार कार्रवाई कर रहा है।
शी जिनपिंग ही बनेंगे तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति? अगले हफ्ते कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में हटाए जाएंगे ‘कांटे’
चीनी सेना पर पेंटागन की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा संकट को हल करने के लिए भारत और चीन के बीच बातचीत ने सीमित प्रगति की है, और मई 2020 में शुरू हुए संघर्ष के बाद भारत की तरफ से काफी प्रमुखता से पीएलए को दोषी ठहराया गया, जिसके परिणामस्वरूप गलवान घाटी में भारत और चीन की सेना के बीच खूनी संघर्ष हुआ, जिसमें 21 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई, जबकि और चीन से एक अज्ञात संख्या की मृत्यु हो गई।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि, “मई 2020 की शुरुआत में पीएलए ने सीमा पार पारंपरिक रूप से भारतीय नियंत्रित क्षेत्र में घुसपैठ शुरू की और एलएसी के साथ कई गतिरोध वाले स्थानों पर सैनिकों को जमा किया। इसके अलावा, तिब्बत और शिनजियांग सैन्य जिलों से एक पर्याप्त रिजर्व बल पश्चिमी चीन के आंतरिक भाग में तैनात किया गया था। ताकि, वो चीनी सैनिकों को फौरन मदद पहुंचा सके”।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पेंटागन ने अमेरिकी संसद, जिसे कांग्रेस कहा जाता है, उसमें रिपोर्ट पेश किया गया, जिसमें भारत-चीन विवाद को लेकर कहा गया है कि, सीमा पर तनाव कम करने के लिए राजनयिक और सैन्य स्तर पर संवाद चल रहे हैं,. बावजूद उसके चीनी पक्ष ने “एलएसी पर अपने दावों को लेकर दबाव बढ़ाने के लिए आक्रामक रवैया अपनाया और सामरिक कार्रवाई”
रिपोर्ट में पिछले साल अरुणाचल प्रदेश में चीन की सरकार द्वारा त्सारी नदी के किनारे एक विवादित क्षेत्र में एक नए गांव का निर्माण करने का जिक्र किया गया है। भारतीय अधिकारियों ने सीमा पर पीएलए द्वारा ऐसी नई बस्तियों को ‘दोहरे उद्देश्य’ के रूप में वर्णित किया है, जिसमें संभावित सैन्य भूमिका भी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, ”चीन की पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चायना और चीन की सेना पीएलए ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और एलएसी के पूर्वी क्षेत्र में बड़े गांव का निर्माण किया है। इस गांव में 100 से ज्यादा गांवों का निर्माण किया गया है”। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, ”भारत-चीन सीमा पर चीन के द्वारा किए गये इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण, और निर्माण कार्य में लगातार वृद्ध ने भारत की सरकार को घबराहट में भर दिया है”।
अरूणाचल में चीनी गतिविधियां तेज
वहीं, इकोनॉमिक टाइम्स ने भी दावा किया है कि, पिछले साल अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के पास वाले इलाकों में चीन ने गतिविधियां काफी तेज कर दी हैं। मिगीटुन शहर के पास त्सारी नदी पर निर्मित आवासीय आवास और संचार सुविधाओं में काफी तेजी से वृद्धि की गई है, वहीं, काफी तेजी से बेहतरीन सड़क मार्ग का भी निर्माण किया गया है। वहीं, पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि, चीन ने “एलएसी के पास भारत सरकार द्वारा किए गये इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के विकास में अड़ंगा डालने और गतिरोध को काफी ज्यादा भड़काने की कोशिश की है और इसके लिए भी चीन ने भारत को ही दोषी ठहराने की कोशिश की हैं
पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल से भारत-चीन सीमा के दोनों किनारों पर हजारों सैनिकों की संख्या में वृद्धि हुई है। और चीन बार बार यही कहता है कि, भारत की तरफ से उकसाने वाली कार्रवाई की जाती है और उसके जवाब में चीन को भी एलएसी पर सैनिकों की तैनाती करनी पड़ती है। बीजिंग ने तब तक किसी भी बल को वापस लेने से इनकार कर दिया है, जब तक कि भारत की सेना एलएसी के उस हिस्से से पीछे नहीं हट जाती है, जिसे पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चायना विवादित मानता है।
एलएसी को लेकर पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि, ”बीजिंग की तरफ से व्यापक सैन्य संघर्ष को रोककर वापस आर्थिक और राजनयिक सहयोग की दिशा में लौटने का उद्येश्य जताया गया, लेकिन चीन की तरफ से भारत को कहा गया था कि, “भारत को अमेरिका के साथ अपने सैन्य संबंधों को और ज्यादा गहरा करने से रूकना चाहिए”, लेकिन चीन को इसमें कामयाबी नहीं मिली।

Show More
[sf id=2 layout=8]

Related Articles

Back to top button