Breaking
Axiom 4 Space Mission: लखनऊ के शुभांशु शुक्ला हुए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवानाकहीं ये वर्ल्ड वॉर की दस्तक तो नहीं? ईरान ने किया अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला११वें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस का एस.एम.एस में आयोजनअंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर एकेटीयू ने सूर्य नमस्कार का बनाया रिकॉर्डएसआरएमयू में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का हुआ आयोजनअहमदाबाद प्लेन क्रैश: लंदन जाता प्लेन उड़ते ही हॉस्टल पर जा गिरा, 242 की मौतफिर से टल गया लखनऊ के शुभांशु शुक्‍ला का स्पेस मिशन मिशन, Axiom-4 में आई तकनीकी खराबीजीत के जश्न के दौरान चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास मची भगदड़, 11 की मौत18 साल के इंतजार के बाद आरसीबी ने थामी ट्रॉफी, पहली बार जीता आईपीएल का खिताबSMS में मंथन ”कार्यक्रम के अन्तर्गत अनलीश योर बेस्ट सेल्फ शीर्षक पर व्याख्यान आयोजित
Breaking Newsराजनीतिराष्ट्रीय

भारत-अमेरिकी संबंध मोदी नेतृत्व में हुए और प्रगाढ़ : सुधांशु त्रिवेदी

नई दिल्ली। अमेरिकी प्रधानमंत्री बदले लेकिन भारत अमेरिका के सम्बन्धो में और मिठास आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के संबंध लगातार प्रगाढ़ होते जा रहे हैं। नई दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि भारत ने पिछले सात सालों में अमेरिका के सभी राष्ट्रपति के समक्ष अपना पक्ष प्रबलता के साथ रखा है जिसकी झलक इस यात्रा में भी दिखाई दे रही है।

सुधांशु त्रिवेदी ने प्रधानमंत्री की वर्तमान अमेरिकी यात्रा को सामान्यत: होने वाली विदेश यात्राओं की तुलना में अति महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पहली बार आमने-सामने मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में भारत आर्थिक, रणनीतिक, क्षेत्रीय सुरक्षा , स्वास्थ्य, पर्यावरण और कोरोना के बाद के समय में बदलते वैश्विक परि²श्य सहित अनेक मुद्दों पर अपनी बात रखेगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय प्रशांत क्षेत्र के रणनीतिक विषयों पर ऑस्ट्रेलिया और जापान के राष्ट्राध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय बातचीत की वजह से भी यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।

भाजपा विदेश विभाग के प्रभारी विजय चौथाईवाले ने प्रधानमंत्री की यात्रा के महत्व को बताते हुए कहा कि अमेरिका में पीएम ने जिन 5 सीईओ से मुलाकत की थी, उनका चयन भी काफी विचार-विमर्श के बाद किया गया था। उन्होंने बताया कि इनमें से 2 सीईओ 5जी और इससे जुड़ी नई तकनीक वाली कंपनी के हैं, बल्कि इनमें से एक कंपनी को तो ड्रोन बनाने में भी महारत हासिल है। तीसरी कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी है। चौथी कंपनी सोलर पैनल बनाने वाली बड़ी कंपनी है जो भारत में निवेश करना चाहती है। पांचवी कंपनी बैंकिंग और निवेश क्षेत्र से जुड़ी है जो भारत में 60 बिलियन डॉलर का निवेश कर चुकी है। इस कंपनी ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद 40 बिलियन डॉलर का और निवेश भारत में करने की बात कही है। इन पांचों में से दो कंपनियों के सीईओ भारतीय मूल के थे।

अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता के आने से उपजे हालात पर चिंता जताते हुए डॉ विजय चौथाईवाले ने कहा कि इस लिहाज से क्वाड की बैठक भी काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि 9/11 ने यह दिखा दिया है कि आतंकवाद हमेशा क्षेत्रिय नहीं वैश्विक समस्या होती है । इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि क्वाड की बैठक में आतंकवाद के साथ-साथ, साउथ चाइना सी , जलवायु परिवर्तन जैसे अनेक मुद्दों पर भी चर्चा होगी। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि क्वाड और नाटो संगठन की आपस में कोई तुलना नहीं की जा सकती। विजय चौथाईवाले ने यह भी बताया कि दुनिया भर में सभी को कोविड वैक्सीन लगाने के लक्ष्य को लेकर भी भारत- अमेरिका पार्टनरशिप काफी महत्वपूर्ण होने जा रही है।

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता देने या न देने पर भाजपा के स्टैंड के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए भाजपा विदेश विभाग के प्रभारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ की बैठक में यह साफ तौर पर बता दिया था कि अफगानिस्तान में नई सरकार बनाने वालों से भारत की क्या अपेक्षाएं हैं और उन तमाम मुद्दों पर तालिबान ने अभी तक अपना स्टैंड क्लियर नहीं किया है इसलिए आज के हालात में कोई निर्णय नहीं है। अभी हम वेट एंड वाच की रणनीति पर चल रहे हैं।

इसी सवाल के जवाब में विरोधियों पर निशाना साधते हुए भाजपा राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि तालिबान के तलबगार और इन तलबगारों के खिदमतगार जो यहां बैठे हैं, उनसे यह पूछिए कि तालिबानी सरकार को लेकर उनके क्या विचार हैं।

तालिबान की वजह से उपजे सुरक्षा हालात पर टिप्पणी करते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि अमेरिका को यह मालूम है कि यह क्षेत्र यूरोप और एशिया के बीच ट्रेड रूट होने की वजह से काफी संवेदनशील भी है।

Related Articles

Back to top button