लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा ने अपने अब तक के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में सिर्फ अव्यवस्था और अराजकता फैलाने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं किया है। उसका आचरण और प्रकृति दंगाई किस्म की है। नफरत का तनाबाना फैलाने के साथ समाज को बांटने और विभाजनकारी प्रवृत्तियों को बढ़ाने में ही भाजपा लगी रहती है। झूठ के लिए ही उसका मंथन, निरन्तर चलता रहता है।
भाजपाई रामराज में भाजपा सरकार की डबल इंजन वाली गाड़ी का किसानों को ‘कुचलना‘ जारी है। उन्नाव में भूमि पर कब्जा हो जाने से परेशान किसान को इस सरकार में न्याय नहीं मिला तो लखनऊ में विधान भवन के सामने आत्मदाह को मजबूर हो गया। समाजवादी सरकार ने विधान भवन के सामने लोक भवन इसलिए बनवाया था ताकि वह न्याय मंदिर बने लेकिन मुख्यमंत्री जी ने वहां बैठकर सभी लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक मर्यादाओं को ध्वस्त करने का काम किया है।
बागपत जिले में कर्ज में डूबे किसान द्वारा आत्महत्या की घटना कम हृदयविदारक नहीं। भाजपा के राज में किसानों की ऐसी हालत सरकार के सभी झूठों का पर्दाफाश कर रही है। आखिर कब तक यह सब सहेगा प्रदेश का किसान?
भाजपा सरकार कितनी जनहितैषी और गरीबों की हमदर्द है इसका ताजा नमूना यह है कि गरीब को मुफ्त अनाज देने की योजना पर ताला लगा दिया गया है।
बड़े जोर-शोर से दावे किए जाते हैं कि भाजपा राज में देश में खुशहाली आई है। महिलाओं-बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया गया है। किन्तु हकीकत यह सामने आई है कि 33 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं। नवम्बर 2020 से 14 अक्टूबर 2021 के बीच गम्भीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या में 91 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। गरीब, भूखे, वंचित वर्ग के लोग इस बार भाजपा को ‘वोटबंदी‘ करके करारा जवाब देंगे।
वैसे उपचुनावों के हाल में जो परिणाम आए हैं उससे हवा का रूख सामने आ गया है। भाजपा इसमें हारी और पीछे रह गई। जनता ने तय कर लिया है कि वह अब भाजपा के बहकावे में नहीं आने वाली है। सन् 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनावों में भी अब करारी शिकस्त खाना और बहुत पीछे रह जाना ही भाजपा की नियति होगी।