LUCKNOW: कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार यह दो नाम भारत वासियों के लिए नए नहीं हैं भारतीय राजनीति में अपना वर्चस्व रखने वाली कांग्रेस पार्टी कभी लोगों के दिलों मे छायी हुई थी परंतु समय के साथ लोगों की सोच भी बदली और अपने कुछ खामियों के कारण पार्टी ने अपना वह मुकाम खो दिया आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए गांधी परिवार एक बार फिर उत्तर प्रदेश में ज़ोर आजमाने जा रहा है। इस बार कांग्रेस पार्टी की जिम्मेदारियों का भार गांधी परिवार की बेटी पर है यूपी चुनाव के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपना जोर लगाया है ।
यूपी में भाई राहुल पूरी तरह फेल हैं तो अब बहन प्रियंका को आगे कर दिया गया है. कभी प्रियंका गांधी में कांग्रेस के कार्यकर्ता दादी इंदिरा का अक्स देखा करते थे. लेकिन प्रियंका ने अपनी सियासत को भाई की परछाईं के ईर्द गिर्द समेट कर रखा. लेकिन यूपी में हालात ऐसे हैं कि प्रियंका फ्रंट फुट पर खेलने के लिए मजबूर है.
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने ये कहकर एक तरह से साफ कर दिया है कि यूपी में कांग्रेस प्रियंका गांधी के नेतृत्व में यूपी चुनाव लड़ेगी.
सलमान खुर्शीद के इस बयान से दो बातें निकलकर सामने आती हैं. पहली- कांग्रेस यूपी में प्रियंका के चेहरे पर दांव खेलेगी. दूसरी बात एक बार फिर कांग्रेस की पुरानी मजबूरी सामने आ गई है कि उसके पास गांधी परिवार के अलावा कोई विकल्प नहीं है. यानी प्रियंका गांधी के कंधों पर सारा दारोमदार है मगर सवाल यही है कि प्रियंका इसके लिए कितना तैयार हैं क्या वो तीस साल बाद यूपी में कांग्रेस की नैया पार करा पाएंगी.
लेकिन प्रियंका की राह इतनी आसान भी नहीं है, क्योंकि पिछले चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो,साल 2017 में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें कांग्रेस को 7 सीट 6.3 % वोट मिले थे वहीं साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को महज एक सीट मिली थी जबकि वोट शेयर 6.4 फीसदी रहा. यानि कांग्रेस के लिए जमीन तलाशना उसे पा जाना इस बार इतना आसान नहीं है.
उत्तर प्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी केवल पूर्वी यूपी के प्रभारी का जिम्मा संभाल रही थी नतीजे गवाह रहे कि इससे पार्टी को कोई खास फायदा नहीं पहुंचा. हालांकि चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने उनको पूरे यूपी का प्रभार दिया ताकि कांग्रेस की डूबती नैया को किनारा मिल सके, लेकिन प्रियंका की लाख कोशिशों के बावजूद संगठन में वो फिलहाल वो तेजी नहीं दिख रही है जो चुनाव से पहले नजर आनी चाहिए.
लेकिन जमीनी स्तर पर देखें तो कांग्रेस के पास प्रियंका गांधी के पास कोई विकल्प भी मौजूद नहीं है. यही कारण है कि प्रियंका ने यूपी को लेकर बड़ा प्लान बनाया है. कांग्रेस ने जो प्लान बनाया है उसके मुताबिक प्रियंका महाराष्ट्र के फॉर्मूले पर कांग्रेस यूपी में 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाएगी. असंतुष्ट नेताओं जातीय समीकरण को साधने के लिए ये फार्मूला लागू किया जा सकता है. इसके अलावा कांग्रेस प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों पर जोर न देकर महज 100 सीटों पर जीतने के लिए पूरा जोर लगाने का प्लान बना रही है. ताकि वह गठबंधन के लिए दूसरी पार्टियों की जरूरत बन सके.
अभी तक कांग्रेस का यूपी में किसी भी दल से गठबंधन नहीं हो पाया है. सूत्रों के मुताबिक प्रियंका गांधी वाड्रा की नजर यूपी की उन 100 सीटों पर है. जहां पर पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर रही है. प्रियंका को लगता है कि अगर कांग्रेस को यदि 80 सीटें भी मिल जाती है तो उसके बिना यूपी में सरकार नहीं बनेगी.
यूपी में चुनाव को वक्त जरुर है, लेकिन प्रियंका गांधी ने पिछले पांच सालों में अपना फोकस यूपी पर शिफ्ट कर रखा है. वो सधी हुई रणनीति से काम कर रही हैं संगठन को मजबूत करने के साथ ही उनका पूरा फोकस सॉफ्ट हिंदुत्व पर है. प्रियंका ने कभी खुद की पहचान हिंदुत्व से अलग नहीं होने दी है. वो जब कहीं किसी दौरे पर जाती हैं तो मंदिर दर्शन के लिए ज़रूर जाती हैं. वो हाथों में रूद्राक्ष पहनती हैं.
इस बार भी प्रियंका रायबरेली दौरे पर आई प्रियंका गांधी बछरावां के चुरुआ हनुमान मंदिर में पहुंची मत्था टेक कर आशीर्वाद लिया. 11 फरवरी को प्रियंका गांधी ने मौनी अमावस्या के मौके पर प्रयागराज पहुंचकर संगम में आस्था की डुबकी लगाई थी 23 फरवरी को उन्होंने वृन्दावन में बांके बिहारी मंदिर में दर्शन किये थे. 10 फरवरी को वो सहारनपुर में मां शाकुम्भरी मंदिर गयी थी. मार्च 2021 प्रियंका गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर में दर्शन करने पहुंची थी. राजनीति के जानकारों को मुताबिक प्रियंका का ये वो अवतार है जिसके जरिए वो बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड की काट निकाल रही हैं.
कुल मिलाकर कहें तो यूपी में कांग्रेस ने कमबैक का प्लान जरुर तैयार कर लिया है. लेकिन इस बीच कुछ सवाल भी हैं. मसलन कुछ घंटे यूपी में बिताने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा सूबे में फिलहाल पार्टी संगठन को महज 5 से 6 महीनों में दोबारा कैसे खड़ा कर पाएंगी?. पार्टी के अंदर गुटबाजी को प्रियंका गांधी वाड्रा कैसे खत्म कर पाएंगी. पिछले 31 साल से कांग्रेस यूपी की सत्ता से बाहर है. सत्ता छिनने के बाद कांग्रेस यूपी में लगातार सिकुड़ती चली गई. ऐसे में इस बार का यूपी चुनाव कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. खासतौर पर गांधी परिवार के करिश्मे की अग्निपरीक्षा तो है ही.