असली जौहरी है नसीम अहमद, देश को दिए अनमोल हीरे

नई दिल्ली: कहते हैं एक अच्छा जौहरी ही असली हीरे की परख कर सकता है. कोच नसीम अहमद भी वही असली जौहरी साबित हुए, जिन्होंने हाथ में लेते ही नीरज चोपड़ा (neeraj chopra) और निषाद कुमार (nishad kumar) जैसे हीरों को पहचान लिया. इस जौहरी ने सालों पहले ही इन दोनों की चमक को देख लिया था और दोनों खिलाड़ियों की सालों की मेहनत ने उन्हें सही भी साबित कर दिया. पहले टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने देश को एथलेटिक्स इतिहास का पहला ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलाया तो अब निषाद कुमार ने टोक्यो पैरालंपिक में ऊंची कूद में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया.
पंचकूला के कोच नसीम ने ताऊ देवी लाल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में पहली बार साल 2011 में नीरज को देखा था. لعبة قمار اون لاين तब नीरज चोपड़ा नाम का 13 वर्षीय एक गोल-मटोल लड़का खेल अकादमी में प्रवेश पाने की प्रक्रिया के बारे में पूछताछ करने आया था.
वहीं निषाद 2017 में ट्रेनिंग के लिए इस कॉम्प्लेक्स में आए थे. لعبه روليت उस समय पंचकूला की खेल नर्सरी बंद होने के कारण उन्होंने निषाद को एथलेटिक्स में ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी. यहां तक कि निषाद की आर्थिक हालत ठीक न होने पर नसीम ने उनकी काफी मदद भी की थी. كيف تربح المال من الانترنت مجاناً ताकि इस खिलाड़ी की तैयारी और खुराक में कोई कमी न रह जाए. 2018 में दुबई में आयोजित वर्ल्ड लेवल गेम्स में जाने के लिए निषाद को 40 हजार रुपये की जरूरत थी और ऐसे समय में उनकी काबिलियत को देखते हुए कोच ने दोस्तों की मदद से रुपयों का इंतजाम किया था.