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रूस ने लगाया पाकिस्तान के मंसूबों का सुराग, खुली पाकिस्तान की पोल।

इस्लामाबाद : पाकिस्तान रूस को धोखे में रखकर तबाही का सामान खरीदने की साजिश को अंजाम देना चाहता था परंतु पाकिस्तान बहुत बड़ा झटका लगा है और रूस ने पाकिस्तानी कंपनी के साथ करार को रद्द कर दिया है।

इसके साथ ही पाकिस्तान किस तरह से अंधेरे में रखकर रूस को धोखा दे रहा था, इसका भी खुलासा हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने पाकिस्तानी कंपनियों को ”हैंड फुट कन्टेमिनेशन” निर्यात करने से इनकार कर दिया है, जिसे तबाही का सामान कहा जाता है।
रूस ने पाकिस्तान से ड्यूएल यूज मैटेरियल ”हैंड फुट कन्टेमिनेशन मॉनिटर” बेचने का करार रद्द कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस खरीद के लिए रूस और पाकिस्तान की निजी कंपनियों के बीच करार हुआ था, लेकिन जैसे ही रूस को पता चला, कि पाकिस्तान इस मैटेरियल का इस्तेमाल परमाणु संयंत्र में बम बनाने के लिए करने वाला है, ठीक वैसे ही रूसी कंपनी ने पाकिस्तान के साथ करार रद्द कर दिया है। रूसी कंपनी की तरफ से बताया गया है कि, पाकिस्तान कंपनी ने झूठ बोलकर और गलत जानकारियों के साथ ये करार किया था, जबकि पाकिस्तान का मकसद उस मैटेरियल का इस्तेमाल परमाणु संयंत्र के लिए करना था।
रूस के फेडरल सर्विस फॉर टेक्निकल एंड एक्सपोर्ट कंट्रोल (एफएसटीईसी) के एक्सपोर्ट कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन ने पाकिस्तान को ”हैंड फुट कन्टेमिनेशन मॉनिटर” का लाइसेंस जारी करने से इनकार करते हुए पाकिस्तानी कंपनी के साथ हुए डील को रद्द कर दिया है। जिसके तहत पाकिस्तान, रूसी कंपनी से 6 उपकरण खरीदने वाला था। रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की एम/एस टेक्नोसेंटर लिमिटेड और लाहौर की एम/एस हसन साइंटिफिक कॉर्पोरेशन के बीच 6 ”हैंड फुट कन्टेमिनेशन मॉनिटर” खरीदने के लिए करार किया गया था। जिसके लिए पाकिस्तान की तरफ से गलत जानकारियां रूस को दी गईं थी और पाकिस्तान का असल मकसद इन उपकरणों को पाकिस्तान की ”चश्मा न्यूक्लियर पॉवर जेनरेशन स्टेशन” तक पहुंचाना था, जिसकी भनक रूसी अधिकारियों को लग गई।
दरअसल, करार होने के बाद से ही पाकिस्तान के ऊपर रूस के अधिकारी कड़ी नजर रख रहे थे, जिसकी जानकारी पाकिस्तान को नहीं थी। इसके साथ ही, यूरोपीय बाजार से पाकिस्तान जो भी सामान खरीदता है, उसपर भी रूसी अधिकारी करीब से नजर रखते हैं और जब पाकिस्तानी कंपनी ने रूसी कंपनी के साथ करार किया था, उसके बाद रूसी अधिकारी और ज्यादा सतर्क हो गये थे, क्योंकि ये उपकरण यूरोप के कुछ देशों के अलावा सिर्फ रूस में बनता है। और यूरोपीय देश पाकिस्तान को ये उपकरण नहीं देते हैं। इसके साथ ही यूरोप से ऐसी संवेदनशील वस्तुओं की खरीद के प्रयास पाकिस्तानी कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं, जिसकी वजह से पाकिस्तान ने रूस की तरफ कदम बढ़ाया था। पाकिस्तान परंपरागत रूप से यूरोप में निजी कंपनियों से परमाणु सामग्री की खरीद करता रहा है, लेकिन कड़े नियंत्रण और नियामक निकायों द्वारा कठोर जांच और संतुलन के कारण अब पाकिस्तान के लिए इन सामानों को खरीदना काफी मुश्किल हो गया है, जिसको लेकर पाकिस्तान, रूस को एक संभावित बाजार के रूप में देखता है।
जानकर सूत्रों के मुताबिक, रूस के साथ करार करते हुए पाकिस्तानी पक्ष ने महसूस किया था कि, रूस के पास वो सख्त निगरानी तंत्र नहीं है, जिससे पाकिस्तान की महत्वाकांक्षा के बारे में रूस को पता चल सके। लेकिन, ध्यान देने वाली बात ये है कि, परमाणु उपकरण संबंधित दोहरे इस्तेमाल योग्य वस्तुओं की जब खरीद या बिक्री की बात आती है, तो पाकिस्तान द्विपक्षीय संबंधों की अनदेखी करने से भी बाज नहीं आता है, जिसकी वजह से यूरोपीय देश अब किसी भी परमाणु सामग्री के लिए पाकिस्तान से करार नहीं करते हैं और रूस से करार करते वक्त पाकिस्तान को लगा कि, उसके झूठ की खबर रूस को नहीं हो पाएगी। लिहाजा पाकिस्तान ने रूस के साथ अपने संबंधों को ताक पर रखकर झूठ बोलते हुए करार कर लिया, लेकिन रूसी अधिकारी लगातार पाकिस्तान पर नजर रख रहे थे और रूसी अधिकारी को पता चल गया कि, पाकिस्तानी कंपनी इस उपकरण को पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्लांट तक पहुंचाने वाले हैं, जिसके बाद रूस ने करार रद्द कर दिया।
रूस ने पाकिस्तान के साथ परमाणु उपकरण का करार ना सिर्फ रद्द कर दिया है, बल्कि रूस ने ये भी आदेश दे दिया है कि, भविष्य में रूस और पाकिस्तान के साथ होने वाले किसी भी करार की रूसी एजेंसी कड़ाई से जांच करें और उस करार को ट्रैक करते रहें। इसके साथ ही रूस ने ये भी आदेश दिया है कि, रूसी अधिकारी करार होने से पहले पाकिस्तानी प्रोजेक्ट की काफी कड़ाई से जांच करें। आपको बता दें कि, पाकिस्तान अन्य देशों से न्यूक्लियर बम बनाने लायक वस्तुओं की खरीद के संदेहास्पद चैनलों का उपयोग करके अपने परमाणु एजेंडे को आगे बढ़ाना जारी रखता है।
अपनी परमाणु परियोजना के लिए टेक्नोलॉजी हासिल करने के अनैतिक तरीकों का सहारा लेने की वजह से दुनियाभर की अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसियां और दुनिया भर के वैज्ञानिक संगठन लगातार पाकिस्तान को रडार पर रखते हैं, बावजूद, पाकिस्तान अपने परमाणु कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण मैटेरियल्स को प्राप्त करने के लिए नई रणनीतियां विकसित करना जारी रखता है।

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