चंडीगढ। ट्राईसिटी का नामी बिल्डर जो लोगों को करोड़ों रुपए का चूना लगाकर विदेश फरार हो गया, वहीं पर ट्राईसिटी के व्यापारी पाल मर्चेंट के अलावा तीन बिल्डरों पर पर ईडी ने रेड मारी है। रेड के दौरान इन सभी ने सुपमा फोरेक्स प्राइवेट लिमिटेड, क्यूरो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड आफिस और आवासीय परिसर पर चंडीगढ़, पंचकूला, जालंधर, मोहाली और दिल्ली में रेड की। पक्के सूत्रों से सुराग मिलने के बाद ये छापेमारी की गई। ईडी को पता चला कि इन कंपनियों ने फर्जी कंपनियों के नाम से सिंगापुर, हांगकांग और यूएई में 475 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम भेजी।
डमी कंपनियों में ट्रिपल स्ट्रीक ड्रीम हॉलीडेज, वेंगस्टर्स ट्रेवल प्राइवेट लिमिटेड, पेरेपतिजो ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड, हिमालय टूरिज्म, इजेक्स हॉलीडेज, ग्रेट जर्नी टूर्स इत्यादि शसमिल हैं। इन डमी कंपनियों ने विभिन लोगों की फर्जी आईडी के जरिये दूसरे देशों में हवाला का पैसा भेजा। जांच में पाया गया कि यह पैसा रियल एस्टेट व अन्य बिजनेस में लगाया गया। ईडी को 3.88 करोड़ की राशि नकदी में मिली है। 24.2 लाख बुलियन की रकम जब्त की गई। ईडी ने कई प्रॉपर्टी दस्तावेज, लैपटॉप, मोबाइल फोन भी बरामद किए।
दूसरी ओर जीवीपी का मालिक सतीश गुप्ता अपने परिवार समेत विदेश भाग चुका है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पता चला है कि वीरवार देर शाम सेक्टर-३4 के थाने में इस बिल्डर ने किसी से किए एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने थे, लेकिन वह बिल्डर थाने नहीं पहुंच पाया। आशंका जताई जा रही है कि बिल्डर विदेश भाग चुका है।
जानकारी के अनुसार, मुल्लांपुर के निकट न्यू चंडीगढ़ में जीवीपी के नाम से एक कंपनी बनाकर मालिक सतीश गुप्ता व इनके पार्टनरों ने पहले तो एक व्यापारी से धोखाधड़ी करके करोड़ों रुपए का चूना लगाया। 26 दिसंबर 2020 को जब दैनिक अर्थ प्रकाश की टीम ने इस बिल्डर के कारनामे का खुलासा किया। इसके बाद जिन लोगों ने इनसे प्लॉट लेने के लिए लाखों रुपए जमा कराए थे, बिल्डर ने इन सभी लोगों को एक-एक वर्ष के बाद की निश्चित तारीख डालकर पोस्ट डेटिड चैक दे दिए। इसके बाद कई लोगों ने बिल्डर के खिलाफ केस दर्ज कराया। आशंका जताई जा रही है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद अब यह विदेश भाग चुका है।
ईडी के निशाने पर ट्राईसिटी के कई बिल्डर चल रहे हैं। जीरकपुर के एक बिल्डर के ठिकाने पर कल बुधवार को ईडी की रेड पड़ी है। कुछ और बिल्डरों के यहां ईडी की टीम अगले कुछ दिनों में पहुंच सकती है। चंडीगढ़ के एक इंडस्ट्री ग्रुप पर भी बुधवार को इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट की रेड पड़ी। ईडी की रेड के दौरान कई महत्वपूर्ण खुलासे हुए हैं। खुद ईडी ने रेड को लेकर कोई खुलासा तो नहीं किया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि ईडी को बड़ी मात्रा में रेड के दौरान कैश मिला है।
ट्राईसिटी में बिल्डरों ने भोलेभाले लोगों को लूटने का धंधा बनाया हुआ है। लोगों से पैसे लेकर न तो उन्हें फलैट या जमीन ही मिल पा रही है, मांगने पर पैसा भी वापिस नहीं किया जाता। इन बिल्डरों का इतना लंबा चौड़ा नेटवर्क है कि शिकायत करने पर न तो पुलिस इनके खिलाफ कोई कार्रवाई करती है और न ही कोर्ट की ओर से भेजे समन ये स्वीकार करते हैं। बताया जाता है कि इन बिल्डरों ने पुलिस व कोर्ट के कारिंदों के साथ पूर्ण रूप से सांठगांठ कर रखी है। इन्हीं के प्रश्रय में यह अपना नेटवर्क ट्राईसिटी में चला रहे हैं। जीरकपुर, खरड़, डेराबस्सी, न्यू चंडीगढ़, पीर मुछल्ला जैसे बहुतेरे इलाके हैं जहां बिल्डरों का यह धंधा बेखौफ जारी है।
हाल ही में ढकोली में इसका उदाहरण सामने आया। इनके इतने ऊंचे रसूख हैं कि बिल्डरों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले एक आरटीआई व सामाजिक कार्यकर्ता के खिलाफब्लैकमेलिंग का आरोप लगाकर ढकोली थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गई। भोलेभाले लोग इसका शिकार बन रहे हैं। इसको लेकर ट्राईसिटी के कई इलाकों से शिकायतें पुलिस, उपभोक्ता अदालतों व रेरा इत्यादि में पहुंच रही हैं। अच्छे फ्लैट व जमीन का प्रलोभन देकर ये बिल्डर भोलेभाले लोगों को निशाना बनाते हैं। जमीन के मालिक से बिना रजिस्ट्री ऊंची कीमत में बेचने का एग्रीमेंट कर लेते हैं। इसकी आड़ में लोगों को बेवकूफ बनाने का धंधा चलने लगता है। अपने रहने के लिए मकान या फ्लैट देख रहे लोग अपना पैसा इनके पास फंसा बैठते हैं।
जमीन चूंकि इनके नाम ही नहीं होती लिहाजा कई ग्राहकों से पैसा बटोर कर बिल्डर भागने में भी देर नहीं लगाते। सूत्रों के अनुसार ट्राईसिटी में काम कर रहा ऐसा ही एक बिल्डर जल्द कनाडा भागने की फिराक में है। इसने भोले भाले लोगों को निशाना बनाकर पैसा बटोरा है लेकिन लोगों से जो प्रॉमिस किया उसे अब पूरा नहीं कर पा रहा है। जीरकपुर में तो ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें बिल्डरों पर बड़ी मुश्किल से पीडि़त लोगों ने एफआईआर दर्ज कराई। बताया जा रहा है कि बहुत से बिल्डर कम रकम की रजिस्ट्री कराकर सरकार को भी चूना लगा रहे हैं। कई ग्राहकों की रजिस्ट्री ’यादा रकम में हुई है तो उन्हें इनकम टैक्स दफतरों में भी पूछताछ के लिए बुलावा भेजा गया है। ईडी के निशाने पर ऐसे ग्राहक हैं।