भारत को क्रिकेट की ऊँचाईयों तक पहुँचाने के लिए बड़े बड़े दिग्गज स्टार क्रिकेटर देने वाले कोच तारक सिन्हा (Tarak Sinha) नही रहे . वो लंब वक्त से बीमार चल रहे थे. 71 साल के तारक सिन्हा ने आज तड़के 3 बजे अंतिम सांस ली. 888 casino arab तारक सिन्हा दिल्ली में सोनेट क्रिकेट क्लब नाम से एकेडमी चलाते थे.
इनकी कोचिंग से निकले 12 खिलाड़ियों ने इंटरनेशनल क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व किया. لعبة الرهان الرياضي जबकि उनके 100 से ज्यादा खिलाड़ियों ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपने टैलेंट का जलवा दिखाया.
ताकत सिन्हा के निधन की जानकारी वरिष्ठ खेल पत्रकार विजय लोकपल्ली ने ट्वीट कर दी. तारक सिन्हा द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित होने वाले देश के 5वें कोच थे. उनसे पहले ये अवार्ड देश प्रेम आजाद, गुरचरण सिंह, रामाकांत आचरेकर और सुनीता शर्मा को ये अवार्ड मिल चुका था.
तारक सिन्हा से क्रिकेट का ककहरा सीखने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट लंबी है, लेकिन उनके 12 शिष्य ऐसे रहे जो उनसे क्रिकेट सीखने के बाद देश के लिए खेले. इनमें सुरिंदर खन्ना, रंधीर सिंह, रमन लांबा, मनोज प्रभाकर, अजय शर्मा, केपी भास्कर, अतुल वासन, आशीष नेहरा, संजीव शर्मा, आकाश चोपड़ा, शिखर धवन और ऋषभ पंत. भारत के लिए मेंस क्रिकेट में नाम दर्ज कराने वाले इन 12 खिलाड़ियों के अलावा वो महिला क्रिकेटरों में अंजुम चोपड़ा के भी कोच रहे.
तारक सिन्हा दिल्ली की टीम के कोच भी रहे. उनकी कोचिंग में दिल्ली ने 1985-86 में रणजी ट्रॉफी का टाइटल जीता. साल 2001-02 में वो भारत की महिला क्रिकेट टीम के हेड कोच बनाए गए. उनकी कोचिंग में ही मिताली राज और झूलन गोस्वामी जैसे खिलाड़ियों ने इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था. उनकी ही कोचिंग में टीम ने विदेश में अपना पहला टेस्ट साउथ अफ्रीका की धरती पर जीता था. इसके बाद इंग्लैंड को घरेलू जमीन पर 4-0 से हराया था. كيف تربح المال من الانترنت 2002 में जब वो दिल्ली की जूनियर टीम के कोच बने तो उसने स्टेट टूर्नामेंट में अंडर-15, अंडर-19 और अंडर -22 का खिताब जीता. साफ है बतौर कोच तारक सिन्हा ना सिर्फ देश को इंटरनेशनल खिलाड़ी देने में ही सफल रहे बल्कि टीमों को खिताबी जीत का दीदार कराने में भी कामयाब रहे. भारतीय महिला क्रिकेट टीम के प्रदर्शन को संवारने में तारक सिन्हा का योगदान बड़ा है
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