लाल किले के दफ्तर में लगे यह पंखे की कीमत सुनकर उड़ जाएंगे आपके होश
दिल्ली: यह पंखा अंग्रेजों के जमाने का है अगर इसकी कीमत देखें तों 1999 डॉलर का है. इंटरनेट पर खोजने पर पता चला कि यह पंखा साल 1901 में बनाया गया था.लंदन की जर्नल इलेक्ट्रॉनिक कंपनी ऐसे बेहतरीन पंखे बनाती थी.
क्या है इस पंखे की कीमत और विशेषता
इस पंखे की सही से कीमत का अनुमान तो नही है, पर एक ऑनलाइन साइट पर यह पंखा 1999 यूएस डॉलर का है.अगर भारतीय रुपए में से बदला जाए तो इसकी कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा है. यह पंखा लकड़ी,धातु और पीतल का बना हुआ है. इस पंखे में ज्यादातर लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है. जो आज भी सुरक्षित है .इसे देखकर लगता नहीं की ये 120 साल पुराना है .भारत में अंग्रेज अपने साथ इसे लेकर आए थे.
क्या है पंखे बनाने वाली कंपनी का इतिहास
यह पंखा आगरा किले में आरके गुप्ता के दफ्तर में टंगा है. इस पंखे को बनाने वाली कंपनी की स्थापना 1886 में दो जर्मनी प्रवासियों के द्वारा की गई थी.लंदन मैं गुस्ताव बिसवांगर और ह्यूगो हर्स्ट ने इस कंपनी की स्थापना की . इस कंपनी का पूरा नाम द जर्नल इलेक्ट्रॉनिकल अंपायर है. यह कंपनी 3 साल बाद जनरल इलेक्ट्रॉनिक कंपनी बन गई. कंपनी ने तेजी से विस्तार किया, और यूरोप ,जापान ,ऑस्ट्रेलिया ,दक्षिण अफ्रीका ,भारत, दक्षिण अमेरिका में अपनी फ्रेंचाइजी खोली .इस पंखे का व्यास 140 सेंटीमीटर है और यह 100 वाट का पंखा है .इसका वजन लगभग 18 किलो है.आरके गुप्ता बताते हैं कि इस तरह के हमारे पास दो पंक्ति थे . जिन्हें अंग्रेज अपने साथ लेकर आए थे. उनमें से एक पंखा खराब हो गया है और इस पंखे की भी हालत ज्यादा ठीक नहीं थी .दोनों का सामान आपस में बदलकर एक पंखा अभी पूरी तरह से ठीक स्थिति में है. इसे हम ज्यादा इस्तेमाल नहीं करते क्योंकि यह उस समय की धरोहर है. अगर यह एक बार खराब हो गया तो यहां के कारीगर इसकी मरम्मत नही कर पाएंगेयह आम सीलिंग फैन नहीं है .आप इसके इतिहास और उसकी कीमत के बारे में जानेंगे तो आप भी चौक जाएंगे.यह पंखा वर्तमान में आगरा के लाल किले के एक दफ्तर में लगा हुआ है .इस पंखे पर GE का साइन गुदा हुआ है .