भाई की दीर्घायु की कामना लिए स्नेह और प्रेम का प्रतीक भैयादूज , दिवाली के समापन का दिन।
भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक ये त्योहार सभी के लिए खास होता है. इस मौके पर भाई दूज की पूजा भी होती है.बहनें भाई की लंबी उम्र की कामना करती है, दिवाली के तीसरे दिन होने वाले भाई दूज के त्योहार के साथ दिवाली का पांच दिन का उत्सव अपने अंतिम चरण में पहुंच जाता है.
इस दिन के साथ दिवाली के त्योहार का समापन होता है और लोग वापस अपने ढ़र्रे पर आ जाते हैं. हालांकि दिवाली के मौके पर मेहमानों के आने-जाने से लेकर दिवाली पार्टी तक का दौर कुछ और समय तक चलता है.
इसी क्रम में भाई दूज के दिन अगर बहन दूर है तो भाई उसके घर जाकर तिलक जरूर कराता है. जानते हैं क्या है पूजा करने का सबसे शुभ मुहूर्त.
इस साल भाई दूज के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त दोपहर में 01.10 से लेकर 3.21 बजे तक का है. इस समय पर भाई को टीका करना अच्छा रहेगा. हिंदू पंचाग के हिसाब से भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल द्वितिया तिथि 05 नवंबर रात में 11 बजकर 14 मिनट से शुरु होकर, 06 नवंबर शाम 07 बजकर 44 मिनट तक रहेगी. इस आधार पर द्वितीया तिथि 06 नवंबर को मानी जाएगी और भाई दूज पर्व मनाया जाएगा. इस दिन शुभ मुहूर्त में भाई को तिलर करें.
भाई दूज का त्योहार क्यों मनाया जाता है इसके पीछे पौराणिक कथा है, जो इस प्रकार है. देवी यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती थी लेकिन वे दोनों लंबे समय तक मिल नहीं पाते थे. एक बार यम अचनाक दिवाली के बाद बहन यमुना से मिलने पहुंच गए. खुशी में यामी ने तमाम तरह के पकवान बनाए और भाई यम के माथे पर तिलक किया. इससे खुश होकर उन्होंने यमुना से वरदान मांगने को कहा.
इस पर यमुना ने अपने भाई से कहा कि वे चाहती हैं कि यम हर साल उनसे मिलने आएं और आज के बाद जो भी बहन अपने भाई के माथे पर तिलक करे उसे यमराज का डर न रहे. यमराज ने यमुना को ये वरदान दिया और उस दिन से भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा. ऐसी मान्यता है कि जो बहनें अपने भाई के तिलक करती हैं उनकी उम्र लंबी होती है.