कृषको को प्रशासन का कड़ा आदेश ,पराली जलाने पर होगी कार्यवाही और जुर्माना ।
बस्ती – उत्तर प्रदेश के जिला बस्ती से अधिकारियों ने किसानों को दी चेतावनी, खेत में पराली जलाने पर कड़ी कार्यवाही करने के लिए जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया है।
मंगलवार को तहसील भानपुर में भ्रमण के दौरान उन्होने तीन खेतो में एक साथ पराली जलते हुए देखा। उन्होने कहा कि यह कार्य दण्डनीय अपराध है। उन्होने यह भी बताया है कि पराली/फसल अवशेष नही जलाने से मृदा में कार्बनिक पदार्थो की वृद्धि होती है, लाभकारी सूक्ष्म जीवों की संख्या बढती है, मृदा में जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है, दलहनी फसलों के अवशेष से मृदा में नत्रजन एवं अन्य पोषक तत्वों की मात्रा बढती है।
उन्होने कहा है कि कम्बाईन हार्वेस्टिंग मशीन फसलों की कटाई लगभग एक फिट छोड़कर किया जाता है, जिससे किसान अगली फसल की बुआई हेतु जलाते है, जबकि कृषि अनुभाग-2 उ0प्र0 शासन के निर्देशानुसार जनपद में कम्बाइन हार्वेस्टिंग स्ट्रा रीपर विद बाइन्डर अथवा स्ट्रा रीपर का प्रयोग अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही रीपर मशीन का प्रयोग न करने वाले कम्बाइन मशीन मालिको के विरूद्ध सिविल दायित्व भी निर्धारित किए जाने के निर्देश है।
उन्होने जनपद के समस्त कम्बाइन मालिको को सचेत किया है कि जिन कृषको का धान की फसल उनके द्वारा कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई की जाती है, उनसे यह सुनिश्चित कर लें, कि कटाई के उपरान्त फसल अवशेष नही जलायेंगे, यदि इसके उपरान्त भी पराली संबंधित कृषक द्वारा जलायी जाती है, तो कृषक के साथ-साथ कम्बाइन धारक का भी दायित्व निर्धारित करते हुए कम्बाइन सीज/विधिक कार्यवाही की जायेंगी।
उन्होने बताया कि मा0 राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण नई दिल्ली द्वारा अवशेष जलाने पर खेत के क्षेत्रफल के अनुसार अर्थदण्ड 02 एकड़ से कम क्षेत्रफल वाले कृषको से रू0 2500, 02 से 05 एकड़ वाले कृषको से रू0 5000 एवं 05 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले कृषको से रू0 15000 की क्षतिपूर्ति प्रति घटना की वसूली की जायेंगी। उक्त निर्देश जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने दिये है। साथ ही दोषी के विरूद्ध कठोर दण्ड का भी प्रावधान किया गया है।