पटना। बिहार में 15 जिले के बाढ़ प्रभावित होने के कारण एक बड़ी आबादी बाढ़ से घिरी है, ऐसे में चुनाव कराना बहुत आसान नहीं दिख रहा है। पंचायत चुनाव को लेकर अब तक हालांकि कोई अधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन बिहार में पंचायत चुनाव को लेकर अब तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है। बिहार निर्वाचन आयोग राज्य में नवंबर तक चुनाव की प्रक्रिया समाप्त करने को लेकर अपनी तैयारी प्रारंभ कर दी थी। किन्तु अब ऐसा होना संभव नहीं दिख रहा है।
बिहार निर्वाचन आयोग राज्य में नवंबर तक चुनाव की प्रक्रिया समाप्त करने को लेकर अपनी तैयारी प्रारंभ कर दी थी। माना जा रहा सितंबर में पंचायत चुनाव की घोषणा की जा सकती है, लेकिन अब बाढ के कारण यह संभव नहीं दिख रहा है। आयोग 10 चरणों में पंचायत चुनाव कराने को लेकर तैयारी कर रही थी।
चुनाव की तिथियों का कोई फैसला लेने के पहले राज्य सरकार जिलों में बाढ़ की स्थिति को लेकर जिलाधिकारियों से फीडबैक लेने की तैयारी कर रही है। संभव है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में पंचायत चुनाव की तिथि आगे बढ़ा दी जाए।
बिहार में वर्ष 2016 में गठित त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाएं और ग्राम कचहरियां जून महीने में भंग कर दी गई हैं। जून के बाद पंचायत चुनाव तक पंचायत परामर्शी समिति काम कर रही है।
उल्लेखनीय है कि गंगा के अलावा गंडक और कोसी जैसी नदियों के जलस्तर में वृद्धि के बाद कई क्षेत्र पानी से घिरा हुआ है। बिहार के 15 जिले के 618 पंचायतों के 2176 से अधिक गांव बाढ़ के पानी में पूरी तरह प्रभावित हुए हैं। बाढ से करीब 27 लाख की आबादी प्रभावित हुई है। बाढ़ के कारण कई इलाकों में लोग अपने घरों को छोड़कर अन्य स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। ऐसे में आपदा प्रबंधन विभाग राहत और बचाव कार्य में जुटी है। माना जा रहा है कि ऐसे में चुनाव कराना उचित नहीं माना जा रहा है।